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________________ श्रव्ययानि २४ यत्र - जिसमें, जहाँ । कञ्चित् - अनुकूल प्रश्न । नह-प्रत्यारम्भ । इन्त - हर्ष, विषाद | माकि:- वर्जन | माकिम् नकि नकिम् - - नहीं। यावत् - जितना । तावत् - उतना । -वितर्क । (च) - -वितर्क । वषट "" "" "" "" - दान | स्वाहा- देवहविर्दान । स्वधा - पितृदान । ट - देवदान । तुम - तू । तथाहि-- जैसे कि । खलु - निश्चय । किल - ऐति । अथो-अनन्तर । " अथ- 1 सुष्ठु - शोभन । स्म-अतीत काल | श्रादह-निन्दा | प्रवदत्तम्-दत्त- दिया । श्रयु - श्रहंकारी । भाषार्थ परिशिष्टम् अव्ययानि, अस्तिक्षीरा - विद्यमानदुग्धो -सम्बोधन । श्रा-स्मरण । इ-सम्बोधन | ई उ-सम्बोधन | ऊ - -- ऐ -- "" 39 है भोः "" " "" पशु-सम्यक् । - शीघ्र । शुकम् -‍ यथाकथाच - अनादर । पाटू-सम्बोधन । व्याटू ग्रङ्ग-- "" है-सम्बोधन । در "3 श्रये - - हिंसा | " "" विषु नाना, ( अनेक ) । एकपदे - कस्मात् 1 अतः इससे भी । भावार्थ: सत्राता ३६८ अतः - इस कारण सू० ३६६ स्मार स्मारम्बार बार स्मरण करके । जीवसे - जाने के लिए | पिबध्यै-पीने के लिए। ३६६
SR No.006148
Book TitleLaghu Siddhant Kaumudi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
PublisherMotilal Banrassidas Pvt Ltd
Publication Year1981
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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