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परिशिष्टम्
३६७
अवस्-"
हविः-हवि, चरु।
सुपुम्-सुपुरुषवाला कुल । पयः-दूध वा जल ।
अदः-यह ( वस्तु)। इति हलन्तनपुंसकलिङ्गप्रकरणम् ।
.. अथ -अव्ययसंग्रहः अव्ययानि भाषार्थः अव्ययानि,
भाषार्थः स० ३६७
वहिस्-बाहर। स्वर--स्वर्ग। अन्तर-बीच में।
अधस-नीचे। प्रातर--प्रातः काल ।
समया-समीप। पुनर-फिर ।
निकषा - ,, सनुतर्--अन्तर्धान ।
स्वयम्-अपने आप। उच्चैस-ऊँचा।
वृथा--व्यर्थ । नीचेस्-नीचा।
नक्तम्-रात । शनैस्--धीरे ।
न-नहीं। ऋधक-सचमुच।
नञ--नहीं। ऋते-बिना।
हेतौ-निमित्त । युगपत्--एक दम ।
इद्धा-प्रकाश (जाहिर)। बारात्--दूर या समीप । . . अद्धा-स्फुट या निश्चय । पृथक्-भिन्न (अलहदा)!
सामि-अाधा। ह्यस्-बीता हुआ दिन (कल)। वत--समान । श्वस-अागामी दिन।
ब्राहाणवत्--ब्राह्मण के समान । दिवा-दिन ।
क्षत्रियवत्--क्षत्रिय के समान । रात्रौ-रात ।
सना-नित्य (सदा रहनेवाला)। सायम्--सायंकाल ।
सनत्-, " " चिरम्--देर ।
सनात्-, " " मनाक्--किञ्चित् , कुछ।
उपधा--भेद ! ईषत्-- " "
तिरस-टेदा या तिरस्कार । जोषम्-चुप होना।
अन्तरा-मध्य या बिना। तूष्णीम्-चुप होना
अन्तरेण-बिना