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________________ धातुरूपम् 'भू-सत्तायाम् भवति होता है । अनुवादोपयोगाय - उपसर्गयोगेन केषाञ्चिद् धातूनामर्थविपरिणामः प्रदर्श्यते— उपसर्गेण धात्वर्थी बलादन्यत्र नीयते । प्रहाराहार-संहार-विहार- परिहारवत् ॥१॥ (दिङ्मात्रमुदाह्रियते) भाषार्थः अनुभवति - अनुभव करता है । विर्भवति - प्रकट होता है । د. परिशिष्टम् उद्भवति - उत्पन्न होता है । प्रादुर्भवति प्रभवति-समर्थ होता है, या उत्पन्न होता है । गच्छति - در 1 परिभवति - तिरस्कार करता है पराभवति - तिरस्कार करता है । श्रभिभवति "" सम्भवति पैदा होता है, या सम्भव है । धातुरूपम् पक्रामति - हटता है | गम्लृ गतौ । -जाता है । प्रतिगच्छति - लौटता है । क्रमु-पादविक्षेपे क्रामति - चलता है । उपक्रमते श्रारम्भ करता है । प्रक्रमते- संक्रमति - संक्रान्त होता है । विक्रमते - विक्रम दिखाता है । आक्रमते - आक्रमण करता है । निष्क्रामति- निकलता है । अतिक्रामति - श्रतिक्रमण - उल्लंघन करता है। परिवर्तते परिक्रामति - परिक्रमा करता है । पराक्रमते - पराक्रम दिखाता है। श्रवगच्छति - जानता है । अनु गच्छति -पीछे जाता है । निर्गच्छतिति - बाहर जाता है । श्रधिगच्छति प्राप्त करता है । श्रागच्छति - जाता है । संगच्छते - मिलता है | उद्गच्छति - ऊपर जाता है । श्रय - गतौ । ते-चलता है । पलायते - दौडता है । वृतु वर्तने । वर्तते है | भाषार्थः प्रवर्तते - कार्य में) लगता है । निवर्तते - लौटता है । अनुवर्तते - अनुसरण करता है । ते-घूमता है। हृञ — हरणे | हरति- चुराता है । ३४७ १- दीधीवेवी - दरिद्राणामसुत्र जागरेस्तथा । एकाचामपि धातूनां नाऽनुबन्धोऽज् विलुप्यते ॥ तेन, ऊकारानुबन्धलोपो न ।
SR No.006148
Book TitleLaghu Siddhant Kaumudi Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVishvanath Shastri, Nigamanand Shastri, Lakshminarayan Shastri
PublisherMotilal Banrassidas Pvt Ltd
Publication Year1981
Total Pages450
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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