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AAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAAA श्री संतरिक्ष पार्श्वनाथ तीर्थ
श्री अंतरिक्षपार्श्वनाथजिनेश्वर स्तवन
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(राग-जब तुम ही चले परदेश) श्री अन्तरिक्षप्रभु पास, पूरो हम आश,
स्वामी सुखकारा, सेवकका करो उद्धारा विदर्भदेश के शिरपुर में, तुम जाकर बैठे दूरदूर में। __ तुम दर्शन को आया हूँ जिनजी प्यारा....
सेवक. ।।१।। तुम सेवा में मैं आया हूँ, महापुण्य से दर्शन पाया हूँ। आनंद हुआ है दिल में आज अपारा....
सेवक. ।।२।। तुम मूर्ति अद्धर रहती है, अति चमत्कार चित्त देती है। तुम महिमा जगमें सोहे अपरंपारा....
सेवक. ।।३।। प्रभु तुमने रोग मिटाया है, श्रीपाल का कोढ़ हटाया है। मुज दुःख हरो करुणारस के भंडारा....
सेवक. ।।४।। तुम नामको नित्य समरता हूँ, करजोड के बिनति करता हूँ। जंबू को है प्रभु तेरा एक सहारा....
सेवक. ।।५।। – रचयिता - मुनिराज श्री जंबूविजयजी महाराज
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