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________________ । 5 ] (3) द्रव्य निक्षेपा-वन्दनीक है । 1. नंदी सूत्र में देवड्डि गणि खमाश्रमण ने वीर प्रभु के 24 पाट पर हुवे आचायों को वन्दना की है । अब भी देवलोक में गये गुरुत्रों को सभी जैनी वांदते हैं । 2. आवश्यक सूत्र में आदिनाथ भगवान के साधूओं ने चौवीसत्था (लोगस्स) में तेवोस तीर्थंकरों के द्रव्य निक्षपा को वन्दना करी है। लोगस्स में 'अरिहते कित्तइस्सं चउवीसंपि केवली' इससे भी द्रव्यनिक्षेपा वन्दनीक है । और सुनो ! आवश्यक सूत्र साधु प्रतिक्रमण का पाठ" 'उसभाइ महावीर पज्जव साणाणं' तथा 'नमुत्थुणं' वर्तमान काल में बोलते हैं । इससे भी द्रव्य निक्षेपा वन्दनीक साबित होता है । इत्यादि. (4) भाव निक्षेपा-उपवाई सूत्र प्रादि में चन्दनीक है । यों भगवान के चारों निक्षेपापागम प्रमाण से वन्दनीक हैं। फिर भी जो भोले भाई कदाग्रह के वशीभूत होकर वीतराग के वचनों का उत्थापन करते हैं, उन्हें शास्त्रकार प्रत्यनीक कहते हैं । देखिये ! सूत्र ठाणांग ठाणा-3 "सुयं पडुच्च तओ पडिणिता पण्णत्तासुयपडिणीते अत्य पडिणीते तदुभय पडिणीए ।6। इसका अर्थ-सूत्र प्राश्रयी तीन प्रकार के प्रत्यनीक कहे हैं। (1) सूत्र नहीं मानने वाला सूत्र का प्रत्यनीक (बैरी) है । (2)अर्थ को नहीं माने वह अर्थ का प्रत्यनीक (वेरी) है। (3) सूत्र अर्थ दोनों को नहीं माने वह उभय यानि दोनों का प्रत्यनीक है। प्रिय मित्रो ! आप प्रात्मकल्याण करना चाहते हैं तो सूत्र मर्थ की भली प्रकार से प्राराधना करें। बत्तीस सूत्र के मायने, प्रतिमा को अधिकार । सावधान हुइ सांभलो, पामो समकित सार ॥3॥
SR No.006134
Book TitleGayavar Vilas Arthat 32 Sutro Me Murtisiddha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherSukanraj S Porwal
Publication Year1999
Total Pages112
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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