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पर्युषणा- द्वितीय दिन
गुरुवाणी - २
सिर ऊँचा करने लगे। दोनों भाई निकल पड़े। तेजपाल युद्धकला में निपुण था अतः एक के बाद एक ठाकुर-सम्बन्धियों को पराजित कर अधीन करने लगे। युद्ध-कौशल .
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गोधरा का राजा गुगल नाम का था । वह बहुत घमण्डी और दिमागफिरा था । उसने वीरधवल राजा के पास साड़ी और मिस्सी की डब्बी भिजवाई। तुम सब नामर्द हो इसीलिए ये वस्तुएं भिजवा रहा हूँ । वीरधवल राजा ने इसका प्रतिकार करने के लिए राजसभा में पान का बीड़ा फेरा । तेजपाल ने वह बीड़ा झडप लिया। चुने हुए सैनिकों को साथ लेकर वह निकल पड़ा। पहले तो अपने सैनिकों के द्वारा गुगल राजा के राज्य मे से गायों की चोरी करवाई । गुगल राजा थोड़े से सैनिक लेकर गायों के रक्षण के लिए वहाँ आया। उसी समय तेजपाल ने उसको घेर लिया। दोनों के बीच में युद्ध हुआ । अन्त में गुगल राजा हार गया। तेजपाल ने उसको साड़ी पहनायी और दांतो पर मिस्सी लगाकर शहर में घुमाया। इस घोर अपमान से गुगल अत्यन्त व्यथित हुआ और अपनी जीभ के टुकड़े कर मृत्यु को प्राप्त हुआ। ऐसे अच्छे-अच्छे राजाओं को तेजपाल ने भूलुंठित कर दिया। चारों तरफ इन भाईयों की कीर्त्ति फैलने लगी। राज्य अत्यन्त समृद्धशाली बना और राज्य - भंडार भी समृद्ध हुआ । वस्तुपाल की संस्कृत - रसिकता
वस्तुपाल समस्त कार्यों में निपुण था । वह संस्कृत भाषा का रसिक था । संस्कृत भाषा में सुभाषितों की रचना करने की इच्छा थी । उसका विद्यामण्डल प्रसिद्ध था । राजकार्य में अत्यन्त व्यस्त होने पर भी स्वयं के नियमों का पालन करने में दृढ़ था । वह स्वयं ताड़पत्रीय ग्रन्थ लिखा करता था । उसके हस्ताक्षरों के ग्रन्थ आज भी खम्भात के ज्ञान भंडारों में हैं। खम्भात का अधिकार संभालते-संभालते उन्होंने धर्माभ्युदय काव्य लिखा ।