SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 119
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०१ गुरुवाणी-२ सुदाक्षिण्यता करते हैं तो क्या होता है? दुर्गति ही होती है न? इसीलिए वैभाविक पदार्थों का स्मरण छोड़कर परमेश्वर का स्मरण प्रारंभ कर दो। शास्त्रों में अनेक महानुभावों की बात आती है। अनेक कुकर्मों को करने वाली आत्मा भी जो प्रभु के शरण में आ जाती है तो वह तर जाती है। ऐसा कर्म-विज्ञान जैन शास्त्रों के अतिरिक्त कहीं भी देखने को नहीं मिलता है। इस रानी को भी किसी पूर्व-जन्म के कर्मोदय में आए होंगे। राजमहल से बाहर जिसने कदम नहीं रखा, पानी माँगने पर दूध सन्मुख आया, अनेक दासदासियाँ जिसकी सेवा में उपस्थित रहती थी वह आज कर्म-राजा के चक्र में फंस जाने के कारण अकेली ही अनजान रास्ते पर रखड़ने को बाधित थी, किन्तु कोई पुण्यकर्म किया होगा उसके कारण उसे साध्वीजी का संघ मिला। महत्तरा साध्वीजी ने उसको आश्वासन दिया। रानी ने उनके पास दीक्षा ग्रहण करने की अनुमति चाही, साध्वीजी ने उसे योग्य समझकर दीक्षा प्रदान की। वह खूब-खूब सुन्दर आराधना करती है। संयोग ऐसा बना कि जिस समय में रानी ने दीक्षा ली उस समय में उसके उदर में तनिक सा गर्भ था। दिनों-दिन वह गर्भ बढ़ने लगा। 'दीक्षा नहीं देंगी' इस भय से उस रानी ने इस बात को छुपाए रखा। अब रानी ने पूर्णतः सत्य घटना कह दी। साध्वीजी विचक्षण और गंभीर प्रकृति की थी इसीलिए एक शय्यातर श्राविका को यह बात बतला दी। श्रावक और श्राविकाएं साधु-साध्वियों के माता-पिता होते हैं। जिस प्रकार माता-पिता अपने पुत्र को प्रेम करते है उसी प्रकार उसकी भूल हो तो उपालम्भ भी देते हैं। उसी प्रकार श्रावक-श्राविकाएं भी साधु-साध्वियों की आहार-पानी इत्यादि से भक्ति करते है किन्तु तनिक भी ऊँचा-नीचा व्यवहार देखते हैं तो उपालम्भ भी दे सकते हैं। उस श्राविका ने मातापिता के समान उसकी समस्त जवाबदारी अपने ऊपर ले ली। उसको भूमिघर में ही रखा जिससे की शासन की अवहेलना न हो। समय बीतता गया। रानी साध्वी ने पुत्र को जन्म दिया। पुत्र अधिक तेजस्वी था। मूलतः
SR No.006130
Book TitleGuru Vani Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay, Jinendraprabashreeji, Vinaysagar
PublisherSiddhi Bhuvan Manohar Jain Trust
Publication Year
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy