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________________ ६४ अक्षुद्रता पूछता है- हमेशा कौनसा पदार्थ बढ़ता है और घटता है? गुरुवाणी - १ छोटी बहू का उत्तर .... सेठ एक दिन कि अवधि मांगता है । घर आता है । सत्त्वहीन होकर पलंग पर निढाल सा गिर जाता है । अब क्या करना चाहिए? घर के समस्त सदस्यों से पूछता है । राजा और मन्त्री के साथ हुई प्रश्नावली का वर्णन करता है, किसी के भी दिमाग में इसका उत्तर नहीं आता । उसी समय छोटी बहू कहती है- ससुर जी ! आप तनिक भी नहीं घबराए । राजसभा में निर्भय होकर कह दें कि आपके प्रश्न का उत्तर मेरी छोटी बहू देगी। दूसरे दिन सेठ राजसभा में जाते हैं और छोटी बहू की बात को ही दोहरा देते हैं। उसी समय छोटी बहू हाथ में घास की पूली और दूध का कटोरा लेकर उपस्थित होती है और राजा से कहती है- हे राजन् ! उत्तर देना यह तो नगण्य सी बात है । पहले तो आप कटोरे में रहे हुए दुग्ध का पान कीजिए । राजा कहता है- अरे यह क्या? क्या राजसभा में कभी दूध पिया जाता है? छोटी बहू कहती है- हे राजन्, अभी आप छोटे बालक ही हैं क्योंकि बालक में बुद्धि नहीं होती है, समझने की शक्ति भी नहीं होती है, इसीलिए आप दूध पीते बच्चे ही हो। उसी समय बंधी हुई घास की पूली मन्त्री के समक्ष रखती है और कहती है - यह मन्त्री तो बुद्धि की दृष्टि से पूर्णत: बैल हैं, इसीलिए उसके खाने के लिए मैं यह घास का पूला लाई हूँ। बिना घबराहट के छोटी बहू इस प्रकार बोल जाती है । राजा विचार करता है- यह क्या हो रहा है? छोटी बहू से पूछने पर बहू उत्तर देती है- हे राजन्, आपमें कुबुद्धि युक्त सुझाव देने वाला यह मन्त्री है। मन्त्री में बुद्धि नहीं है, क्योंकि प्रजा की सम्पत्ति और समृद्धि देखकर प्रसन्न होना चाहिए, हड़पने का व्यवहार नहीं होना चाहिए। अब आप अपने प्रश्न का उत्तर सुनिए । तृष्णा प्रति क्षण बढ़ती जाती है और यह कभी भी घटती नहीं है और निरन्तर घटने वाली वस्तु है आयुष्य! वह सदा घटती जाती है। जैसे माँ बाप समझते हैं लड़का इतना बड़ा हो गया,
SR No.006129
Book TitleGuru Vani Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJambuvijay, Jinendraprabashreeji, Vinaysagar
PublisherSiddhi Bhuvan Manohar Jain Trust
Publication Year
Total Pages142
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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