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रसे जीते जीतं सर्वम्
श्रावण सुदि ८
पाँच पर संयम .
धर्म करने वाले श्रावक के दूसरे गुण का वर्णन चल रहा है। श्रावक पाँचों इन्द्रियों से परिपूर्ण होना चाहिए, साथ ही उन पर संयम रखने वाला भी होना चाहिए। जो इन्द्रियों पर संयम नहीं रखता है वह मनुष्य कहीं का कही फेंक दिया जाता है।
एक पर चार का आधार ...
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रसनेन्द्रिय पर चारों इन्द्रियों का आधार है । कुछ दिन पर्यन्त भोजन नहीं किया जाए तो एक भी इन्द्रिय काम नहीं देती है । मनुष्य आहार का त्याग करता है उससे समस्त विषय शान्त हो जाते हैं । किन्तु, विषयों की ओर का रस उसे नहीं छोड़ता है। कोई मनुष्य उपवास करता है अर्थात् उस दिन तो वह आहार छोड़ देता है किन्तु पारणे में तूफान का प्रारम्भ हो जाता है। एक वस्तु कम आती है अथवा ठंडी आती है तब दिमाग बिगड़ जाता है। यह रस कब छूटेगा ? ज्ञानी भगवान् कहते हैं- यदि परमात्मा का रस हमारे जीवन में जाग्रत हो जाए तो समस्त रस छूट जाते हैं। इस रसनेन्द्रिय से तो युगप्रधान आर्य मंगु जैसे भी अपने मार्ग से भटक गये थे।
आर्य मंगु...
आर्य मंगु नाम के एक महान् आचार्य हुए हैं। वे शास्त्रों के जानकार और युगप्रधान पुरुष थे। उनके समय में मथुरा जैन धर्म का केन्द्रस्थान था । इसी कारण आचार्य भगवान् वहाँ बारम्बार आते रहते थे । ऐसे युगप्रधान पुरुष वहाँ विराजमान होने से चारों ओर से श्रद्धालुगण उनके दर्शनार्थ वहाँ आते थे और भक्ति से स्वादिष्ट से स्वादिष्ट वस्तु