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लघु शांति स्तव सूत्र
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गाथार्थ :
ॐ' ऐसे निर्धारित नामवाले, भगवान, पूजा के योग्य, 'जयवाले, 'यशस्वी, ' (इन्द्रियों का) दमन करनेवालों के ( साधुओं के ) स्वामी श्री शांतिनाथ भगवान को बार-बार नमस्कार हो ।
विशेषार्थ :
१. ओमिति निश्चितवचसे 7 जिनका नाम 'ॐ' से निर्धारित किया गया है। (उन शांतिजिन को मेरा नमस्कार हो 1),
'ॐ' यह परमतत्त्व की विशिष्ट संज्ञा है । मंत्र शास्त्र में इसे 'प्रणव बीज' कहते हैं। 'ॐ' में पंचपरमेष्ठियों का समावेश है और यह शब्द परमात्मा और परम ज्योति का भी वाचक है । इसलिए परमब्रह्म स्वरूप शांतिनाथ भगवान को भी 'ॐ' जैसे वाचक शब्द से संबोधन किया जा सकता है अर्थात् ॐ याने कि शांतिनाथ भगवान ।
नमो नमो (शान्ति - जिनाय ) (शांतिनाथ भगवान को) बार-बार नमस्कार हो ।
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नमो अर्थात् नमस्कार हो, “सोलह-सोलह विशेषणों द्वारा जिनकी स्तुति की गई है, उन शांतिनाथ भगवान को दोनों हाथ जोड़कर, सिर झुकाकर मैं पुनः पुनः नमस्कार करता हूँ और ऐसे स्वामी का सेवक होना मेरे परम सौभाग्य का प्रतीक है, ऐसा मानता हूँ ।" - ऐसा सोचकर दो बार नमो नमो बोलकर साधक शांतिनाथ भगवान को नमस्कार करता है।
जिज्ञासा : नमस्कार करने के लिए 'नमो' शब्द का दो बार उच्चारण क्यों किया गया है ? क्या इस प्रकार एक ही शब्द दो बार बोलने से पुनरुक्ति दोष नहीं लगता ?
7. ॐ इति निश्चितम् निर्धारितम् 'वचो' वाचकम् पदम् यस्य सः ओमिति निश्चितवचस्तस्मै निश्चितवचसे श्री हर्षकीर्तिसूरि निर्मित टीका ।