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सातवाँ व्रत
अवतरणिका
:
अब सातवें व्रत का स्वरूप तथा अतिचार बताते हैं :
गाथा :
मज्जम्मि अ मंसम्मि अ, पुप्फे अ फले अ गंधमल्ले अ । उवभोगपरी(रि)भोगे, बीयम्मि गुणव्वए निंदे || २० |
अन्वय सहित संस्कृत छाया :
मद्ये च मांसे च पुष्पे च फले च गन्धमाल्ये च । उपभोगपरिभोगे, द्वितीये गुणव्रते निन्दामि ||२०||
गाथार्थ :
मदिरा, मांस, पुष्प, फल, सुगंधित पदार्थ, फूल की माला आदि के भोगउपभोग के प्रमाण का निर्धारण करने रूप दूसरे गुणव्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो उसकी मैं निन्दा करता हूँ ।