SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 361
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ३४० - 4 BRAHaas angareramature marpati HOK.WERMEmwww4RTE Sameermentenemiemetal Sabalekare e nergherairamatireme ५ Alpae ganetasapaigsamaanweys Ramananepat MPS N ewsNeelaendance PIRSTNinternatiotsgost maiderdenermorandarmergramme SargamMINSurendumrpa-dowNewaranews पुण्यात्माओ! सिर्फ एक हजार रुपया एक ही बार भर कर आप जीवनभर के लिए आपके और आपके परिवार के आत्मा का बीमा करवा सकते हैं । यह बीमा कंपनी है - 'सन्मार्ग' पाक्षिक | हाँ ! हर पन्द्रह दिन में एक बार वह आपके घर आ कर आपको मिलता है और आपके आत्महित की चिन्ता करता है ।। पिछले ग्यारह साल जितने कम समय में जैन जगत में उत्कृष्ट ख्याति प्रतिष्ठा प्राप्त किए ‘सन्मार्ग' पाक्षिक के बारे में कुछ भी कहना उचित नहीं लगता । यह सन्मार्ग में जगप्रतिष्ठित व्याख्यानवाचस्पति पू. आ. श्री विजय रामचन्द्रसूरीश्वरजी महाराजा के, हर एक आत्मा को जागृत करनेवाले प्रवचन तो आते ही है और अधिकांश में हम अभी जिनके प्रवचनों को सुनने में एकाग्र बन जाते हैं, प्रभुवाणी में ओतप्रोत हो जाते हैं, जिन्हें सुनने |का बारबार मन होता है, वो प्रवचनप्रभावक पू. आ. श्री विजय कीर्तियशसूरीश्वरजी महाराज के जिनाज्ञानिष्ठ प्रवचनों का हूबहू अवतरण उसमें नियमित रूप से प्रकाशित होता है | इसके अलावा - शंका समाधान, प्र नोत्तरी, शासन-समाचार, आगम के अर्क देते लोक और सांप्रतकालीन प्रवाहों के बारे में शास्त्रीय मार्गदर्शन परोसा जाता है । सन्मार्ग के विशिष्ट रंगीन विशेषांकों ने अपनी खुद की उत्कृष्ट पहचान स्थापित की है। हर पन्द्रह दिन 14 साइझ के १६ पन्ने, हर साल करीब ३०० पेज का वाचन, विशिष्ट विशेषांक, सुपर व्हाईट पेपर पर आकर्षक प्रिन्टींग में घर बैठे यह मिलता है । फिर भी आजीवन सदस्यता सिर्फ रु. १०००/सन्मार्ग जीवनभर घर आकर आपका आत्मकल्याण करेगा | आज ही अपना सभ्यपद प्राप्त करें |
SR No.006125
Book TitleSutra Samvedana Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages362
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy