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नमोत्थुणं सूत्र
पुरिस - सीहाणं ( नमोऽत्थु णं) परमात्माओं को मेरा नमस्कार हो ।)
२. क्रूर :
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सामान्य पशु की अपेक्षा से सिंह में उत्तम कोटि के दस गुण होते हैं । भगवान में भी ऐसे ही गुण विद्यमान हैं, इसलिए भगवान पुरुषों में सिंह तुल्य हैं ।
परमात्मा एवं सिंह में समानता :
१. शूर :
४. वीर्यवान :
पुरुषों में सिंह समान (ऐसे
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जिस प्रकार सिंह सैंकड़ों हाथी के समूह के सामने शौर्य प्रदर्शित करता है, वैसे ही परमात्मा भयंकर कर्म के उदयकाल में लेश मात्र भी घबराए बिना कर्म के सामने पराक्रम दिखानेवाले होते हैं । इस प्रकार भगवान की शूरवीरता सामान्य शत्रुओं के सामने नहीं, परन्तु जगत् को घबरानेवाले कर्मशत्रु के सामने होती है ।
जैसे सिंह अति क्रूर होता है, वैसे ही परमात्मा कर्मरुपी शत्रु का विनाश करने के लिए क्रूर होते हैं। परमात्मा जब संयमादि में प्रवृत्ति करते हैं, तब संयमादि में विघ्नकारक कर्म उदय में आए हों, तो भी परमात्मा दृढ़ प्रयत्न से उन कर्मों का नाश करते हैं ।
३. असहिष्णु : जैसे सिंह अपने शत्रु को सहन नहीं कर सकता, वैसे ही प्रभु भी अपनी चित्तभूमि पर शत्रुभूत क्रोधादि कषायों को लेशमात्र भी हावी नहीं होने देते ।
सामान्य पशु की अपेक्षा सिंह का वीर्य विशेष कोटि का होता है । ऐसा वीर्य ही उसे उसके कार्य में उत्साहित रखता है । जिस प्रकार सिंह वीर्यवान होते हुए भी सबके सामने अपनी शक्ति का प्रयोग नहीं करता, परन्तु बलवान शत्रु के प्रति ही अपने वीर्य का