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________________ २२४ सूत्र संवेदना सामाइयं - समता का लाभ जिससे हो, उसे सामायिक कहते हैं । सामायिक शब्द के बहुत अर्थ हैं, परन्तु उन सब का भाव तो यही है कि, आत्मा को समता भाव में रखना । ममताकृत-कषायकृत दोषों के कारण हुई विषमता से हटकर आत्मा को अपने ज्ञानादि गुणों में प्रवृत्त करना, सामायिक है । सामायिक शब्द का विशेष अर्थ : सामायिक शब्द के अलग-अलग अर्थ इस प्रकार हैं - १. सामायिक अर्थात् सद् व्यवहार । २. सामायिक अर्थात् शास्त्रानुसार शुद्ध जीवन जीने का प्रयत्न । ३. सामायिक अर्थात् समस्थिति, विषमता का अभाव, विभाव में से स्वभाव में लीनता । अनादिकाल से आत्मा राग-द्वेष की विषम स्थिति में रही हुई है, उससे दूर होकर आत्मा को समभाव में लीन करना, यही सामायिक का भावार्थ है । ४. सामायिक अर्थात् सभी जीवों के प्रति मित्रता या बंधुता की प्रीति । सब जीवों को आत्म तुल्य मानकर उनके साथ समानभाव से व्यवहार करना, सामायिक है । ५. सामायिक अर्थात् समभाव की साधना = राग द्वेष को जीतने का परम पुरूषार्थ । ६. सामायिक अर्थात् दर्शन-ज्ञान-चारित्र का समन्वय । श्रद्धा एवं ज्ञानपूर्वक चारित्र का आचरण करना उसका सार है ।। ७. सामायिक अर्थात् अहिंसा की आराधना । अन्य को दुःख नहीं देने का निश्चय । । ८. सामायिक अर्थात् समभाव = माध्यस्थ्य भाव अर्थात् राग-द्वेष के कारण होनेवाले सक्षपात का अभाव । कोई कुल्हाड़ी से देह को काटे तो 5. वि.आ.भा.भा. २ गाथा ३४८१
SR No.006124
Book TitleSutra Samvedana Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrashamitashreeji
PublisherSanmarg Prakashan
Publication Year2012
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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