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हाँ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है ।
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उसको जवाब देने के लिये मैंने आपसे इतने प्रश्न किये हैं । आपने निष्पक्ष होकर न्यायपूर्वक जो उत्तर दिया उससे मेरी अन्तरात्मा को अत्यधिक शान्ति मिली है । यह बात सत्य है कि वीतराग दशा की मूर्ति की उपासना करने से आत्मा का क्रमशः विकास होता है । मैं भी आज से मूर्ति का उपासक हूं और मूर्तिपूजा में मेरी दृढ श्रद्धा है आपको जो कष्ट दिया, तदर्थ क्षमा चाहती हूँ । उपसंहार
उत्तर : मूर्तिपूजा में दृढ श्रद्धालु होना, और उसका उपासक बनना यह आपकी कर्तव्यशीलता, भवभय भीरुता और सत्य को स्वीकार करने की सद्बुद्धि है । एवं यह आपका जनोचित कार्य प्रशंसनीय भी है । फिर भी आपको जपा यह बतला देना चाहता हूं कि जैन मंदिर मानने में जैनियों को कितना लाभ हैं ? इसे भी एकाग्र ध्यान से समझें ।
१. गृहस्थों को अनर्थ से द्रव्य प्राप्त होता है और वह