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________________ ७६ हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। अष्टमी चतुर्दशी के उपवास (खाने का त्याग) करनेवाले घर पर आये हुए साधुओं को भिक्षा दे सकते हैं और उनको पुण्य भी होता है । जब आप खाने का त्याग करने पर भी दूसरों को खिलाने में पुण्य समझते हैं तो श्रावकों की पुष्पादि से पूजा करने में लाभ क्यों नहीं है ? प्रश्न ५१ : साधुओं को तो फासुक अचित आहार देने में पुण्य है पर भगवान को तो पुष्पादि सचित पदार्थ चढाया जाता है और उसमें हिंसा अवश्य होती है ? उत्तर : यह तो आपके दिल में किसम का भ्रम डाल दिया हैं । जहां जहां हिंसा का पाठ पढा दिया है पर इसका मतलब आपको नहीं समझाया है । हिंसा तीन प्रकार की होती है । (१) अनुबन्ध हिंसा, (२) हेतु हिंसा (३) स्वरुप हिंसा है । इसका मतलब यह है कि हिंसा नहीं करने पर भी मिथ्यात्व सेवन करना उत्सूत्र भाषण करना इत्यादि वीतरागाज्ञा विराधक जैसे जमाली प्रमुख, यह अनुबन्ध
SR No.006121
Book TitleHaa Murti Pooja Shastrokta Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarmuni
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year2014
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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