________________
हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है ।
६३ स्थानकवासियों की प्रवृत्ति का ही फल हैं तेरहपन्थि तो इन से भी नीचे गिरे हुए है।
प्रश्न ४१ : हमारे कई साधु तो कहते हैं कि मूर्ति नहीं मानना लौकाशाह से चला है । तब कई कहते हैं कि हम तो महावीर की वंश परम्परा चले आते हैं इसके विषय में आपकी क्या मान्यता है ?
उत्तर : जैनमूर्ति नहीं मानना यह लौंकाशाहसे चला यह वास्तव में ठीक है ही इस मान्यता का हाल ही में स्थानकवासी मुनि शोभागचन्दजीने जैन प्रकाश पत्र में धर्मप्राण लौंकाशाह नाम की लेखमाला में भली भांति सिद्ध कर दिया है कि भगवान महावीर के बाद २००० वर्षो से जैन मूर्ति नहीं माननेवाला सबसे पहले लौकाशाह ही हुआ पर जो लोग कहते हैं कि हम महावीर की वंश परम्परा से चले आते हैं और कल्पित नामों की पटावलियां भी बनाई हैं, पर वे इस ऐतिहासिक युग में सब मिथ्या ठहरती हैं कारण महावीर बाद