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हाँ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है ।
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में मंदिर, पर्युषणों में मंदिर, तीर्थयात्रा में मंदिर, इत्यादि मंदिर बिना हमारा काम नहीं चलता हैं। भला वैष्णवों के रेवाडी. मुसलमानों के ताजिया तो क्या जैनो के खासाजी ( वरघोडा) होना अनुचित हैं ? नहीं अवश्य होना ही चाहिये । यदि जैनों का वरघोडा न हो तो बतलाईये हम और हमारे बाल-बच्चे किस महोत्सव में जावें ? महाराज ! जिन लोगों ने जैनों को जैनमंदिर छुडवाया है उन्होने इतना मिथ्यात्व बढाया हैं कि आज जैनियों के घरो में जितने व्रत वरतोलिये होते हैं वे सब मिथ्यात्वियों के ही हैं । हिन्दु देवी देवता को तो क्या ? पर मुस्लमानों के पीर पैगम्बर और मसजिदादि की मान्यता पूजन से भी जैन बच नहीं सके हैं क्या यह दुख की बात नहीं है ? क्या यह आपकी कृपा (!) का फल नहीं है । जहां संगठन और एकता का आंदोलन हो रहा हो वहां आप हम को किस कोटि में रखना चाहते हैं ?
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प्रश्न ४० : भला मूर्ति नहीं माननेवाले तो अन्य देवी