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हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है। पूजन ही को सिद्ध करता हैं, भेद केवल इतना ही है कि तुम तो मात्र वाणी से कहते हो और हम उसे साक्षात् करके दिखा देते हैं।
प्रश्न १७ : कई लोग कहते हैं कि 'मुक्ति नहीं मिलसी प्रतिमा पूजियां, क्यों झोड मचावो ?' इसके उत्तर में आपका क्या परिहार है।
उत्तर : टेर का उत्तर ही टेर होना चाहिए अतः हम प्रत्युत्तर मैं 'पूजा बिना मुक्ति न मिले क्यों कष्ट उठावों ?' यह टेर कहते हैं।
प्रश्न १८ : प्रतिमा पूजकर कोई मुक्त हुआ है ?
उत्तर : सिद्धों में ऐसा कोई जीव नहीं, जो बिना प्रतिमा-पूजन के मोक्ष को गया हो, चाहे वे मनुष्य के भाव में या चाहे देवताओं के भाव में हो परन्तु वे मोक्षार्थ मूर्तिपूजक अवश्य हैं।