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हाँ ! मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है । होने से इच्छा के न होते हुए भी 'जैनधर्म का प्राचीन इतिहास' लिखने के कार्य से दो दिन का समय निकाल मुझे यह ‘हाँ मूर्तिपूजा शास्त्रोक्त है' किताब लिखनी पडी है, पाठकवर्ग इसको ध्यानपूर्वक पढकर जो वीतरादग देव की द्रव्य व भावपूजा करना जैनियों का परम इष्ट है उसकी आराधना कर मोक्ष के अधिकारी बनेंगे तो इस कार्य में मेरा समय और शक्ति का व्यय हुआ है । उसको सफळ समझूगा इत्यालम् ।
ता.२१-५-३५
मुनि ज्ञानसुन्दर
जोधपुर