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________________ जिसके अनुसार दूरी 7 लाख 66 हजार किलोमीटर प्राप्त हुई । जबकि आज जितने भी रॉकेट छोड़े जा रहे हैं, वे 2 लाख 30 हजार मील ( 3 लाख 68 हजार किलोमीटर) के अन्तर को मानते हु छोड़े जा रहे हैं । मजे की बात यह है कि रुस ने चन्द्रमा पर सर्वप्रथम जो रॉकेट भेजा था वह 12,000 मील की गति से भेजा और उसे चन्द्रमा पर पहुँचने में 34 घंटे लगे इससे कुल दूरी 4 लाख 8000 मील हुई जबकि अमेरीका द्वारा छोडा गया रेजरयान प्रति घंटा 6000 मील की गति से 67 घंटे में पहुचा । इस प्रकार यह दूरी 4 लाख 2000 मील हुई । अब इन दोनो में से कौन सी बात सत्य मानी जाये ? क्योंकि यदि 1 मील का भी फर्क होतो रॉकेट जल जायेगा तथा लक्ष्य से दूर चला जायेगा, जबकि यहाँ तो अन्तर 6000 मील का है । पाठ्य पुस्तकों में चन्द्रमा की दूरी 2 लाख 30 हजार मील की पढ़ाई जाती है । किन्तु यह तो कहाँ 2 लाख और कहाँ 4 लाख ? (2) अमेरिकन रिडर्स डायजेस्ट कम्पनी (जिसकी किताबे लगभग 100 से अधिक देश में एवं 30 से अधिक भाषा में निकाली जाती है) की ओर से प्रकाशित 'द वर्ल्ड एटलस' के पृष्ठ क्र.98 पर लिखा गया है कि पृथ्वी के उपर वायुमंडल की जो भिन्न-भिन्न पट्टियाँ है उसमें पृथ्वी से 200 मील पर आयनोस्फीयर है जहां तक गई रेडियो तरंगे तथा अन्य तरंगे परावर्तित होकर पृथ्वी पर वापस आ सकती हैं । किन्तु उसके उपर एक्जोस्फीयर है जहाँ कोस्मिक किरणों की अधिकता के कारण वहाँ पहुँची हुई रेडियो तरंगे परावर्तित होकर वापस नहीं आ सकती हैं । यदि अपोलो यान वास्तव में पृथ्वी से दूर 2.5 लाख मील ऊपर गया हो तो उसके यात्रियों के साथ नासा के वैज्ञानिकों का संपर्क किस प्रकार रहा होगा? एपोलो यान के यात्रियों द्वारा टेलिविजन सेट के चित्रों का प्रक्षेपण किस प्रकार किया गया होगा? नासा के वैज्ञानिकों द्वारा बातचीत की गई, टेलीविजन पर प्रोग्राम दिया जा सका है तो यही बात प्रमाणित करती है कि अपोलो यान पृथ्वी से उपर 190 मील की ऊँचाई से अधिक, आयनोस्फीयर की सीमा से बाहर नहीं गया है । उनके कहने के अनुसार यदि राकेट 2 लाख 30 हजार मील दूर चन्द्रमा पर गया तो केप केनेडी से नासा संस्था ने आर्मस्ट्रोंग और अन्य यात्रियों से संदेशों का आदान प्रदान एवं वार्तालाप कैसे किया ? (3) अपोलो यान की खिडकी पर बर्फ और कोहरा कैसे जम सकता है? क्योंकि वैज्ञानिको की मान्यतानुसार चंद्र पर अत्यंत गर्मी है। ऐसे कई प्रश्न, जब आर्मस्ट्रोंग दिल्ली आये, तब पूछे जाने पर वे निरुत्तर रहे । (4) चन्द्रमा से लाई गई मिट्टी का नमूना भारत को भी भेजा गया । जिसमें कोई विशेषता नहीं 82
SR No.006120
Book TitleJain Tattva Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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