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चारित्र ग्रहण कर और फिर अनशन करके सौधर्म देवलोक में देवता बने, वहाँ अवधिज्ञान से अपने पुत्र को देखकर अत्यंत स्नेहातुर होकर, वहाँ आएँ, उसको दर्शन दिया और भद्रा को कहा कि शालिभद्र को सभी प्रकार की भोग साम्रगी मैं दूंगा इतना कहकर वह देव चला गया। बाद में गोभद्र का जीव (देवता) उसको मनवांच्छित वस्तुएँ देने लगा । प्रतिदिन 32 स्त्रियों के साथ शालिभद्र को मिलाकर 33 व्यक्तिओं के लिए 33 पेटी वस्त्रों की, 33 पेटी आभूषणों की तथा 33 पेटी भोजन आदि पदार्थों की कुल मिलाकर 99 पेटी भेजने लगा ।
एक बार श्रेणिकराजा शालिभद्र और उसकी संपत्ति को देखने के लिए उसके घर आए । शालिभद्र की समृद्धि को देखकर श्रेणिकराजा ने भी निम्न प्रकार विचार किया कि मेरे राज्य में ऐसे समृद्धिशाली सेठ रहते हैं ?
शालिभद्र सातवीं मंजिल पर बैठे हुए थे। उनकी माता ने श्रेणिक को देखने के लिए नीचे बुलाया तो उन्होंने कहा के जिस गोदाम में श्रेणिक रूपी माल रखना हो उसमें रखवा दो, ऐसे समाचार माता को भेजे । माता ने खुद ऊपर जाकर कहा कि यह माल नहीं किंतु अपने राजा है। तु नीचे चल । नीचे आकर शालिभद्र ने भी अपने घर आए हुए श्रेणिक राजा को अपने स्वामी जानकर सोचा कि क्या मेरा भी दूसरा स्वामी है ? इस मेरी पराधीन लक्ष्मी को धिक्कार हो, तथा हम दोनों एक ही जाति के मनुष्य है, फिर भी एक राजा और एक प्रजा ! मैंने पूर्वभव में कुछ साधना कम की होगी जिससे ऐसा भेदभाव हुआ है। इस प्रकार वैराग्य परायण बनकर प्रतिदिन अपनी एक-एक स्त्री को छोडने लगा। यह बात सुनकर धन्ना नाम के उसके बहनोई ने आकर एक साथ सर्व स्त्रियों को त्याग कर दीक्षा लेने की उसको प्रेरणा दी। इस प्रकार की प्रेरणा से उत्साहित होकर शालिभद्र ने श्री महावीर भगवान के पास जाकर चारित्र ग्रहण किया एवं मृत्यु पाकर सर्वार्थ सिद्ध विमान में तेंतीस सागरोपम आयुष्य वाले अहमिन्द्र देव के रूप में उत्पन्न हुए। फिर मोक्ष में जाएंगे ।
देवताओं में श्रेष्ठ ऐसे गोभद्र ने जिनको आभूषण आदि दिए, रत्न कंबल जिनकी स्त्रियों के पैरों को पोंछने के लिए उपयोग में लिए, जिसके लिए राजा (श्रेणिक) अन्न रुप (मामूली किराना) बना एवं जिसने अंत में सर्वार्थ सिद्धविमान प्राप्त किया, ऐसे शालिभद्र को इस प्रकार दान का सर्वप्रकार का अद्भुत फल प्राप्त हुआ।
बालको यह सब किसके प्रभाव से हुआ ? मात्र मुनि को शुद्ध भाव से गोचरी बहराने से ऐसी रिद्धि सिद्धि को एक ग्वाले के पुत्र ने प्राप्त की। तो आप भी इस प्रकार गुरु महाराज को गोचरी भाव से बहराकर संपत्ति-स्वर्ग-मोक्ष प्राप्त कर सकते हो ।
गोचरी बहराते समय रखने योग्य सावधानी
1. साधु महात्मा घर पर पधारें तब कोई भी इलेक्ट्रीक स्वीच चालू या बंध नहीं करना, चालू या बंद करने पर साधु महाराज को दोष लगता है ।
2. रसोईघर में भी बिजली की रोशनी नहीं करें। बिजली का पंखा, गैस, टी.वी., टेप इत्यादि चालू या
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