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________________ पसंद आ सकत है? कदापि पसंद न आना चाहिए । बच्चों ! याद रखो कि अन्य जीवों को सुख देने से ही हमें सुख मिलता है और दूसरों को दुख देने से हमें भी दुःख मिलता है और अनेक बार मरना पडता है । अपने छोटे भाई की रक्षा करना जैसे हमारा कर्तव्य है, वैसे ही चींटी मकोडे आदि अपने से छोटे, निर्बल जीवों की रक्षा करना भी अपना कर्तव्य है । लक्ष्मी छाप पटाखें:- कई पटाखों पर लक्ष्मी देवी के फोटो छपे हुए आते हैं। वह पटाखा फोडते समय लक्ष्मीदेवी का फोटो जलता है, उसके फुरचे उडते है, जिससे लक्ष्मीदेवी का भयंकर अपमान होता है । इस अपमान से कदाचित् इसी भव में निर्धनता, रोडपतित्व - भिखारीपन मिलता है । एक तरफ दुकान तो लक्ष्मी देवी की पूजा करते है और दूसरी ओर पूजा करके बाहर आकर उसी लक्ष्मी देवी का दहन करते है... यह कैसी पूजा ? दूसरी बात यह है, कि कागज अक्षर जलाने से सरस्वती देवी का भी अपमान होता है, उससे इस भव में अपनी बुद्धि मंद हो जाती है अथवा कोई मानसिक रोग हो सकता है, साथ ही अनेक जीवों की हिंसा भी होती है । अत: आतिशबाजी करना, पटाखे फोडना अर्थात् लक्ष्मीदेवी और सरस्वती देवी का घोर अपमान है, तथा यह घर घर में चलता हुआ जीव हिंसा का कत्लखाना है । - पटाखों से प्रदूषण बहुत होता है। उसके विषाक्त धुएँ से फेंफडे बिगडते है, लोगों को दमा, खांसी, पेट के रोग आदि होते है। एक बार दिल्ली के मुख्यमंत्री ने पटाखे न फोडने की अपील की थी, क्योंकि उसके धुएँ से भारी प्रदूषण होता है । बच्चों ! पटाखे मत फोडो, क्योंकि पटाखों में आग है, जीवों की हिंसा और धन का विनाश है, पटाखों के त्याग में जीवदया का लाभ है, अभयदान है, पैसों का बचाव है । दयालु बालकों ! इसीलिये अपने भगवान, अपने गुरु म.सा. और अपने माता-पिता हमारे स्वयं के हितार्थ ही हमें पटाखें फोडने का निषेध करते है। तो अब आप भी अपना हित चाहते हों तो गुरु भगवंत अथवा पाठशाला के शिक्षक के पास पटाखे न फोडने की प्रतिज्ञा आज ही ले लेना और लेने के बाद उसका अच्छी तरह से पालन करना तथा अभयदान का लाभ लेना । 27
SR No.006120
Book TitleJain Tattva Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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