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होकर उस खटमल को मार डाला, जिसके परिणाम में उन ऋषि को जिस प्रकार खटमल को उन्होंने मारा था, वैसी सजा ऋषि को 23 भव तक भुगतनी पडी थी, तो एक जीव की हिंसा से इतनी बडी सजा? तो पटाखे से अनेक जीवों की हिंसा होती है तो पटाखे फोडने वाले को कितनी सजा मिलेगी? इसकी कल्पना करो।
बच्चों ! आप पटाखे फोडकर प्रसन्न होंगे, परन्तु ज्ञानी भगवंत कहते है कि हँसते हँसते बाँधे हुए कर्म खून के आँसू गिराते हुए रोते-रोते भी नहीं छूटते । ठीक ही कहा है कि हंसता ते बांध्या करम, रोते नवि छूटे प्राणिया रे । उनकी सजा हमें भुगतनी ही पडेगी, क्योंकि कर्म को किसी की शर्म नहीं होती। आठ प्रकार के कर्मबंधन:आतिशबाजी करने, पटाखे फोडने से आठ प्रकार के अशुभ कर्म बंधते है। 1.पटाखे फूटने पर कागज जलता है,
उसके टूकडे पाँवो में आते है, मलमूत्र में गिरते है, गटर में गिरते है जिसके कारण ज्ञानावरणीय कर्म बँधता है। 2. हम सर्वज्ञ वीतराग प्रभु की आज्ञा
पटाखे फोड़ने से नरक में पड़ते दुःख... सभी जीवों को दु:ख से बचाने की है । पटाखे फोडने से उन जीवों के अंगोपांग टूट जाते है अत: दर्शनावरणीय कर्म का बंध होता है । 3. जीवों को वेदना होती है, भय लगता है, अत: उससे अशाता वेदनीय कर्म बँधता है। 4. पटाखे की आवाज से गभराये जीवों को दुःखी देखकर हम नाचते-कूदते और आमोद-प्रमोद करते है
जिससे मोहनीय कर्म का बंधन होता है । 5. जीव पटाखों से जल मरते है, झुलसने-जलने से आग लगती है, जिससे अशुभ नाम कर्म बंधता है। 6. मैंने कितने सारे और कैसे सुंदर पटाखे फोडे ? ऐसा अभिमान करने से नीचगोत्र बँधता है। 7. पटाखों की आवाज करके जीवों को सोने, खाने-पीने आदि में उन्हें बाधा पहुँचाने से अंतराय कर्म
बँधता है। 8. पटाखे फोडने पर जीवों के अचानक जल मरने से वे जीव अशुभ ध्यान करके प्राय: दुर्गति में जाते है, जिसके हम निमित्त बनते है, अत: उस समय अपना आयुष्य बंधन हो जाए तो दुर्गति का बँधता है।
पटाखे फोडने से अथवा पटाखे फोडते लोगों को देखकर अनुमोदना प्रशंसा करने से अर्थात् खुश होने से भी अपने कर्म बाँधते है।
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