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________________ 3. जिन पूजा विधि स्नान करने की विधि * पूर्व दिशा की तरफ मुख रखकर थोड़े पानी से स्नान करें । यदि साबुन बिना न चले तो जिसमें चरबी न हो, ऐसे साबुन से स्नान करना चाहिये । * गीजर के पानी का उपयोग नहीं करना (अनछाना होने से) । यदि गरम पानी से स्नान करना हो तो पानी उतना ही गरम करना चाहिये, जिससे गरम पानी में ठंडा पानी मिलाना नहीं पड़े । * पानी 48 मिनट में सूख जाए ऐसी जगह पर बैठकर स्नान करना अथवा परात में बैठकर स्नान करें, फिर पानी को सूखी जगह पर परठ देना । * उसके बाद उत्तर दिशा में मुख रखकर पूजा के वस्त्र पहनना । घर में एम.सी. (अंतराय) का पालन चुस्त रूप से करना चाहिये । पूजा के वस्त्र पहनने की विधि * पुरुष खेस इस रीति से पहने जिससे दाहिना कंधा खुला रहें । * धोती और खेस के अतिरिक्त अधिक कपड़ों का उपयोग न करें। स्त्रियाँ मर्यादा युक्त वस्त्रों का (यथोचित) उपयोग करें । * पुरुष मुखाग्र बांधने के लिये रूमाल का उपयोग न करें । खेस से ही नासिका सहित मुखकोश बांधे। * स्त्रियाँ रूमाल से मुखाग्र को बांधे रूमाल, स्कार्फ जितना बड़ा और चौरस होना चाहिये । * पूजा के वस्त्रों का उपयोग पसीना पोंछने या नाक पोंछने जैसे कार्यों में न करें । * पूजा के वस्त्रों को स्वच्छ रखें । * अगर घर दूर हो तो, पूजा के बाद व्याख्यान सुनने के लिए अन्य कपडे साथ में लेकर आना चाहिए । पूजा के वस्त्र बदल कर व्याख्यान सुनना चाहिए । 12
SR No.006120
Book TitleJain Tattva Darshan Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages120
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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