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कुछ दूर जाने पर सामने से यमदूत जैसे काले पहाड़ से दो लुटेरे हाथ में खुली तलवार उछालते हुए आते दिखाई दिये । उन्होंने राजा के पास आकर के कहा :
ओ मुसाफिर ! यहाँ से कुछ दूरी पर शूर नामका एक पल्लीपति रहता है.. कई दिनों के आराम के पश्चात् आज वह चोरी करने के लिये निकला था । इतने में उसे इस जंगल में एक सिरमुंडे हुए साधु का अपशकुन हुआ और वह वापस लौट आया । उसे उस सिरमुंडे पर भारी गुस्सा चढ़ा । उसने हमें उस सिरमुंडे को मार डालने के लिये भेजा है... तूने उसे सिरमुंडे साधु को देखा है इधर क्या ?
राजा ने अपने मन में सोचा :
यदि मैं खामोश रहूँ या उड़ाऊ जवाब दूंगा तो ये लुटेरे सीधे रास्ते जायेंगे और साधु को मार डालेंगे । मुझे इनको दूसरे रास्ते पर ही रवाना कर देना चाहिये.... हालांकि, मुझे झूठ तो बोलना पड़ेगा... पर ऐसे मौके पर सत्य से असत्य वचन ज्यादा हितकारी होगा.. कल्याणकारी होगा। यह सोचकर राजा ने उन दो डाकुओं से गलत रास्ता बताकर कहा : 'हाँ, वह सिरमुंडा इधर के रास्ते से ही गया है
डाकू लोग उल्टे रास्ते पर भागे और इधर राजा अपने रास्ते पर आगे बढ़ा । चलते-चलते रात हो गयी । राजा ने एक पेड़ के नीचे विश्राम करने का सोचा। घोड़े को पेड़ से बांधकर, जमीन साफ करके उस पर लेट गया । इतने में पास की झाड़ियों में जैसे कोई कानाफूसी कर रहा हो...वैसी फुसफुसाहट सुनाई दी । राजा लेटे-लेटे बात सुनने की कोशिश करने लगा ।
आज से तीसरे दिन संघ यहाँ से गुजरेगा। संघ में करीबन हजार जितने स्त्री पुरुष हैं। काफी मालदार लोग हैं...ढेर सारा धन होगा। अपनी गरीबी दूर हो जायेगी। बरसों तक फिर कमाने की चिंता नहीं ।
दूसरी आवाज उभरी : पहले हमें उस संघ के रक्षकों को मार देना पड़ेगा क्योंकि सशस्त्र चौकीदार साथ में है. संघ की रक्षा के लिये ।
तीसरा कोई बोला : फिर सारा धनमाल हम आपस में बांट लेंगे ।
राजा हंस यह कानाफूसी सुनकर सोचता है : लगता है ये लोग डाकू हैं। किसी तीर्थयात्री संघको लूटने की योजना बना रहे हों, ऐसा मालूम पड़ता है । पर मैं इधर अकेला हूँ । संघ की रक्षा कैसे कर पाऊँगा? और फिर मुझे यह भी तो पता नहीं है कि संघ किस ओर से आ रहा है ... वर्ना तो वहाँ पहुँचकर संघ को मैं खुद सावधान कर देता ।
राजा की आँखों में नींद नहीं है. वह जगता हुआ लेटा है। इतने में दूसरी ओर से मशाल का प्रकाश दिखाई दिया । कुछ सैनिक उस ओर से आ रहे थे। राजा ने सैनिकों को देखा... सैनिकों ने राजा को देखा । तुरंत आकर उन्होंने राजा को घेरा । उन्हें लगा : 'यह कोई डाकू लगता है' । उन्होंने राजा को जगाया : चल रे..उठ । कौन है तू?
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