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इन पाठ्यक्रमों के नौ भाग को तैयार करने में विविध पुस्तकों का सहयोग लिया है एवं नामी-अनामी चित्रकारों के चित्र लिये गये हैं। अत: उन पुस्तकों के लेखक, संपादक, प्रकाशकों के हम सदा ऋणी रहेंगे। इस पाठ्यक्रम के प्रकाशन में कोई भूल ऋटि हो तो सुज्ञ वाचकगण सुधार लेवें ।
शुभेच्छा :
अंत में ‘“जैन तत्त्व दर्शन" के विविध पाठ्यक्रमों के माध्यम से सम्यग् ज्ञान प्राप्ति के साथ हर जैन बालक जीवन में आचरणीय सर्वविरती, संयम दीक्षा के परिणाम को प्राप्त करें ऐसी शुभाभिलाषा.... संस्कार वाटिका - जैन संघ के अभ्यूदय के लिए कलयुग में कल्पवृक्ष रूप प्रमाणित हो, यही मंगल मनीषा ।
भेजिये आपके लाल को, सच्चे जैन हम बनायेंगे । दुनिया पूजेगी उनको, इतना महान बनायेंगे ।।
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जिनशासन सेवानुरागी
श्री वर्धमान जैन मंडल
साहुकारपेट, चेन्नई - 79.
मंडल को विविध गुरु भगवंतों का सफल मार्गदर्शन एवं आशीर्वाद :
प. पू. पंन्यास श्री अजयसागरजी म.सा. प. पू. पंन्यास श्री उदयप्रभविजयजी म.सा.
प. पू. मुनिराज श्री युगप्रभविजयजी म.सा.
प. पू. मुनिराज श्री अभ्युदयप्रभविजयजी म.सा.
प. पू. मुनिराज श्री दयासिंधुविजयजी म.सा.
नम्र विनंती :
समस्त आचार्य भगवंत, मुनि भगवंतों, पाठशाला के अध्यापक-अध्यापिकाओं एवं श्रुत ज्ञान पिपासुओं से नम्र विनंती है कि इन पाठ्यक्रमों के उत्थान हेतु कोई भी विषय या सुझाव अगर आपके पास हो तो हमें अवश्य लिखकर भेजें ताकि हम इसे और भी सुंदर बना सकें।