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पर उपयोगवंत श्रावक को उस समय साधु भगवंत को जिस वस्तु की आवश्यक्ता है, उस बात का उपयोग रखना चाहिए। अथवा कोई महात्मा उन्हें उपयोग (कुछ बनाने को कह दे), तो बड़े
उत्कृष्ट भाव से उन्हें उस वस्तु को वहोरानी चाहिए। इसमें भी भारी लाभ ही है 3. श्रावक को साधु-साध्वी के माता-पिता कहा गया है। उनकी संयम आराधना का ध्यान रखना
श्रावक का फर्ज है। न तो उनके संयम को शिथिल बनने दे, न ही संघम को सीदाने (मुरझाने) दे। लेकिन जिस प्रकार से साधु ज्यादा से ज्यादा संयमी बने रहें, उस प्रकार से
संयम के उपकरणादि की अनुकूलता कर देने का विधान है। 4. स्थापना कुल : उदार वृत्तिवाले और विशाल परिवार वाले घर, जहां साधु भगवंतों को जो चीज
जब भी चाहें मिल जावें, जहां पर चार-पाँच बार जाने पर भी श्रावक मन में अभाव न लाकर भाव पूर्वक वहोराते रहें, ऐसे घरों को स्थापना कुल कहते हैं। यद्यपि साधु भगवंत आचार्यादि
के लिए या विशिष्ट कारण से ही ऐसे घर से गोचरी लाते हैं। 5. जो घर उपाश्रय के नजदीक हैं एवं जिस गांव से साधु भगवंतों का विहार अधिक होता है,
उनको विशेष उत्साह एवं विवेक रखना चाहिए। उनके लिए सब प्रकार के सुकृतों से सुपात्र दान का लाभ विशेष बन जाता है, कहीं घर कम हों या अपना घर पास में हो एवं साधु भगवंतों का विशेष आने का बनता हो, तो श्रावक को उत्कृष्ट भाव से लाभ लेना चाहिए, लेकिन मन में दुर्भावना नहीं लानी चाहिए। इससे साधु-संतों को शाता मिलने से उनके अंतर
के आशिष अवश्य प्राप्त होते है। 6. जब भी महात्मा गृहांगण में पधारे उस समय अति आनंदित होकर उन्हें पधारने का आमंत्रण
देना चाहिए। घर के सारे सदस्यों को खड़े होकर उनका विनय करना चाहिए। लेकिन छोटे या बड़े गुरू भगवंत की उपेक्षा करके अगर टी.वी. देखना, समाचार पत्र पढ़ना, बातें करना आदि में व्यस्त रहे तो आशातना का दोष लगता है। सभी को वहोराने में हाथ रखना चाहिए। बच्चो
को भी गुरू भगवंत को वहोराने के संस्कार डालने चाहिए। 7. बहुत बार अज्ञानी लोग नजदीक में म.सा. की आवाज सुनकर अपने घर में साधु के निमित्त
आरंभ करके खिचिया, पापड़ सेंकते हैं, वह बराबर नहीं है एवं बहुत लोग अपने लिए बन रही रसोई, दूध वगैरह को म.सा. का उद्देश्य बनाकर दोषित कर देते हैं, जो बराबर नहीं है। कुशल श्रावक श्राविकाओं को नियम (1) के अनुसार उपयोग रखना चाहिए। गांव में आयंबिल खाता न हो एवं म.सा. को आयंबिल हो तो म.सा. के लिए अलग बनाने की जरुरत नहीं होती। जो भी आपके घर बन रहा हो उसमें से ही उपयोग पूर्वक लुखा निकाल लेना चाहिए। अथवा म.सा. को वहोराने के पहले वघारना नहीं चाहिए। सभी अथवा कुछ रोटियाँ लुखी ही रखनी चाहिए।