________________
वैज्ञानिकों के लिए एक सरदर्द है, समस्या है।
18वीं सदी से आज तक इस त्रिकोण ने इसके क्षेत्र में आनेवाले 1000 मनुष्य एवं 100 विमान तथा सैंकड़ों जहाजों को गायब कर दिया है। 541 फुट लम्बे और 13 हजार टन वजनवाली नोझैवरीअर्ट स्टीमर तथा एवेन्झर जैसे विशाल विमानों को अपना ग्रास बना चुका है। पुराने जहाजी इस स्थल को भुतिया सागर भी कहते हैं।
इस बरमूडा त्रिकोण का रहस्य अभी तक नहीं मिला है। अत्यन्त आधु नेक यंत्रों से सुसज्जित विमानों तथा जहाजो के इस क्षेत्र में पहुंचते ही यंत्र अचानक बन्द हो जाते है एवं सम्पर्क टूट जाता है। इन जहाजों एवं विमानों का कोई भी भाग अथवा तेलों आदि की एक बून्द का पता भी अथक प्रयास के बाद भी नहीं मिला है। यात्रियों की लाशें या सामग्री भी नहीं मिली है। इस पर अमेरिका में बड़ी-बड़ी पुस्तकें छप चुकी हैं। किन्तु विद्वानों अथ्वा वैज्ञानिकों को अभी तक इस रहस्य का कोई उत्तर नहीं मिला है। इतने आधुनिक वैज्ञानिक साधनों के होते हुए भी इस त्रिकोण का रहस्य, रहस्य ही है।
___ जबकि अमेरिकन वैज्ञानिक बरमूडा त्रिकोण को भी पार न कर सके, तो पृवं गोल है तथा उसकी चारों ओर प्रदक्षिणा की जा चुकी है। इस बात को कैसे स्वीकार कर सकते हैं? जहाँ कोई अदृश्य शक्ति सबको खींच लेती है। जहाँ जाके कोई वापस ही नहीं आया हो, वहाँ पृथ्वी के आकार संबंधी दिया गया, जजमेन्ट कितना उचित है? ये तो इस बात को पढ़ने वाले खुद ही समझ सकते
ऐसे ही दूसरा उदाहरण उत्तरी ध्रुव पर हवाईपट्टी बनाने के लिए निकले वैज्ञानिकों का है। सन् 1954 के मार्च माह के 'धर्मयुग' अंक में उत्तरी ध्रुव प्रदेश में रशियन वैज्ञानिकों द्वारा एरोड्राम स्थापित करने के प्रयत्नों का विवरण छपा था। इसके अनुसार रशियन वैज्ञानिको को रडार पर उत्तरी ध्रुव प्रदेश में 2500 वर्ग मिल के क्षेत्र की जानकारी मिली। रशियन वैज्ञानिकों द्वारा डबल एंजिनवाले विमान में जाकर उस क्षेत्रकी खोज का प्रयत्न किया गया किन्तु बर्फीले वातावरण अथवा चुम्बकीय बलों के कारण इंजन बंद हो जाते थे। इससे वायुयान आगे न जा सके। कई मनुष्यों की मृत्यु हो गई अत: यह कार्य स्थगित करके वैज्ञानिक वापस आगये । सारांश यह है, कि सम्पूर्ण विशाल पृथ्वी पर आज तक कोई वैज्ञानिक नहीं पहुँचे है, और न पहुँच सकेंगे।
80