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मैं तीर्थयात्रा करूंगा। मैं तीर्थरक्षा करूंगा। मैं तीर्थ में आशातना से बचूंगा। मैं तीर्थ में जाकर रहूँगा।
मैं गुरुजनों की सेवा करूंगा। मैं गुरुभक्ति करता रहूँगा।
मैं गुरुजनों की उपासना करुंगा। साधु-साध्वी-श्रावक-श्राविका
....इस चतुर्विध श्री संघ की सुख शांति के लिये सदा जाग्रत रहूँगा। इनके दर्शन करने से दर्शनावरण - कर्म टूटता है।
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