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13. सम्यग् ज्ञान A. दर्शनोपासना
वीतराग परमात्मा के ऊपर श्रद्धा रखो। साधु पुरुषों के प्रति आदरभाव रखो। संघ और शासन के प्रति वफादारी रखो।
जिनमंदिर, जैन धर्म की निंदा मत करो। कभी भी साधु-साध्वीजी की निंदा मत करो ।
कभी भी श्रावक-श्राविका की निंदा मत करो। मन में यह विचार करो कि
......जगत को सुख का सच्चा और अच्छा रास्ता दिखाने वाले जिनशासन का मैं सेवक हूं। मैं जीवन पर्यंत शासन की सेवा करूंगा और दूसरे लोगों को जिनशासन का अनुरागी बनाऊँगा।
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