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चित्र 3 : शहद के छत्ते पर असंख्य जंतु चिपककर मरते हैं। मक्खियाँ विष्टा वगैरह के अपिवत्र पुद्गल लाकर इसमें भरती है। शहद निकालने वाला धूनी धधका कर शहद के छत्तों को बोरे में रखता है, इसमें बुहत सारी मक्खियाँ मरती है।
मक्खन
चित्र 4 : मक्खन में उसी वर्ण के (रंग के) असंख्य जीव सूक्ष्मदर्शक यंत्र (माइक्रोस्कोप) द्वारा देखे जा सकते हैं।
ममा
| रात्रिभोजन
चित्र 5 : रात को खाने वाले कौआ, उल्लू, बिल्ली, चमगादड़ 9 वगैरह होते हैं। होटल में अभक्ष्य होता है, अभक्ष्य की मिलावट हो सकती है। इसलिये होटल का, लारी का, ढाबे का भी नहीं खा सकते। फास्टफुड वगैरह भी नहीं खाना चाहिये।
द्विदल
दो रात बीते दही छाछ,
बासि आदि
चित्र 6 : गर्म नहीं किया हुआ दही, छाछ या दूध, द्विदल के साथ मिलने से असंख्य सूक्ष्म जीव उत्पन्न होते हैं। इसी प्रकार बासी नरम पूरी, रोटी, खोया वगैरह में तथा बराबर धूप में तपाये बिना के अचार में और दो रात से ज्यादा के दही छाछ में भी असंख्य जीव उत्पन्न होते हैं। इसीलिये ये सभी अभक्ष्य भक्षण नहीं करने योग्य बनते हैं। तथा कन्दमूल, प्याज, आलू, अदरक, लहसुन, मूली, गाजर, शकरकन्द वगैरह में भी कण-कण में अनन्त जीव हैं। बैंगन आदि भी अभक्ष्य हैं। नमी से खाखरा, पापड़, वगैरह में फफूंदी आती है, वह भी अनन्तकाय है। अत: अभक्ष्य है। हमें नहीं खाना चाहिये।
कंदमूल
पानी के अंश वाले अचार