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( 9 ) भोजन विवेक
1. खुले स्थान में, खड़े-खड़े, टी.वी. देखते देखते, चलते-चलते, सोतेसोते भोजन नहीं करना चाहिए।
2. हमें कंदमूल, ब्रेड, बटर, चीझ, अण्डा इन सब चीजों का त्याग करना चाहिए।
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3. हमें स्कूल में दोस्तो के साथ लंच लेते समय उसमें कंदमूल जैसी वस्तु न हो वह ध्यान रखना चाहिए।
( 10 ) माता - पिता का उपकार
1. माता-पिता को तीनों समय नमस्कार करके उनके चरण छूएँ । 2. उनकी आज्ञा मानें
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3. उनके सामने नहीं बोलें । तिरस्कार से प्रश्न का उत्तर न दें। 4. दु:ख उत्पन्न हों एवं उनको पसन्द न हो ऐसा काम न करें।
5. बुरे वचन, गाली जैसे शब्द न बोलें ।
6. स्वार्थ के लिए अपमान और तिरस्कार न करें।
7. सेवा - भक्ति करें ।
8. धर्म मार्ग में लगाएं।
9. उनका आदर-बहुमान विनय करें ।
10. उनकी उत्तम वस्त्र - भोजन अलंकारो से यथाशक्ति भक्ति करें।
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बैठकर अलक्ष्य रहित
जन करता हुआ बालक
4. भोजन करते समय एक भी दाना नीचे न गिरे एवं गिरे तो ले लेना चाहिए।
थाली में झूठा बिल्कुल न छोड़े। झूठा छोड़ने से बहुत पाप लगता है।
5. खाने के बाद थाली धोकर, वह पानी पीकर, थाली को रूमाल से पोंछकर रखनी चाहिए, जिससे उसमें जीवों के उत्पत्ति नहीं होती और आयंबिल का लाभ मिलता है।
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6. खाने के पूर्व - साधु भगवंत को गोचरी वहोराकर एवं साधर्मिक को भोजन कराकर स्वयं भोजन करें।
7. खाते-खाते झूठे मुँह से बोलना नही चाहिए एवं पुस्तक वगैरह को स्पर्श नहीं करना चाहिए ।
8. जिन चीजों पर अक्षर लिखे हो या जिन चीजों पर जीवों का आकार (डीजाईन) या चित्र हो वे चीजें नही खानी चाहिए।