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________________ (10) माता-पिता का उपकार 1. जैन धर्म में जन्म दे कर हमारी माता ने हम पर सबसे बड़ा उपकार किया है। 2. छोटे थे तब माँ ने अपना दूध पिलाकर हमें बडा किया। 3. माता-पिता ने हमें बैठना, खाना, पीना, पढ़ना लिखना सिखाकर हमें समाज में रहने योग्य बनाया। 4. हमें अच्छे संस्कार देकर सुदेव, सुगुरु व सुधर्म की पहचान करवाई। 5. तबीयत ठीक न होने पर या बुखार आने पर पूरी रात जागकर हमारी देखभाल की। 6. अच्छे कपड़े नये खिलौने व खूब सारी चीजें लाकर हमारी इच्छा पूरी करते हैं। 7. सुरक्षित जीवन देने वाले माता-पिता का दिल न दुखाकर उनकी बात हमेशा माननी चाहिए। (11) जीवदया-जयणा 1. चलते समय नीचे देखकर चलना चाहिए जिससे कीड़ी-मकौड़े की हिंसा न हो। 2. हमें अपने हाथों से गाय-कुत्तें व पक्षियों को खाना देना चाहिए। 3. किसी भी पशु-पक्षियों को पत्थर से नहीं मारना। 4. पीने का एवं घर में उपयोग करने का पानी हर रोज छानकर लेना चाहिए। 5. बीसलेरी, पेकेट का पानी अणगल (नहीं छाना हुआ) होने के कारण, वो भी छानकर पीना चाहिए। 6.स्नान करते समय आधी बाल्टी या कम से कम पानी उपयोग में लेना चाहिए। 7.गीजर के पानी का उपयोग नहीं करना चाहिए। (12) विनय - विवेक 1. साधु भगवंत, माता-पिता व बड़ों की बात हमेशा सुननी एवं माननी चाहिए। 2. हमें कभी भी क्रोधित होकर उनके सामने नहीं बोलना चाहिए। 3. मंदिर में, उपाश्रय में, दर्शन, पूजा, वंदन वगैरह सब क्रिया विनय और बहुमान पूर्वव करनी चाहिए। 4. धार्मिक पाठशाला व स्कूल में अपने टीचर का कभी भी अपमान व मस्ती नहीं करन ____ चाहिए। उनकी बात माननी चाहिए। 5. घर में और बाहर विवेक पूर्वक, मर्यादा पूर्वक खाना-पीना व बातचीत करनी चाहिए। 6. जब टीचर पढानें आते हैं, तब खडे होकर प्रणाम कहना चाहिए। 23
SR No.006114
Book TitleJain Tattva Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages56
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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