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________________ D. श्री पार्श्वनाथ जिन स्तवन हे प्रभु पार्श्व चिंतामणी मेरो, मिल गयो हीरो, मिट गयो फेरो ,नाम जपु नित्य तेरो प्रीत बनी अब, प्रभुजी सुं प्यारी, जैसे चंद चकोरो आनंदघन प्रभु चरण शरण है, दीयो मोहे मुक्ति को डेरो हे प्रभु पार्श्व. ।। 1 ।। हे प्रभु पार्श्व. ।। 2 ।। हे प्रभु पार्श्व. ।। 3 ।। E. श्री पार्श्वनाथ जिन स्तुति भीडभंजन पास प्रभु समरो, अरिहंत अनंतनुं ध्यान धरो, जिन आगम अमृत पान करो, शासन देवी सवि विघ्न हरो ।। (3) जिन पूजा विधि A. आरती जय जय आरती आदि जिणंदा, नाभिराया मरु देवी को नंदा।। पहेली आरती पूजा कीजे, नर भव पामीने लाहो लीजे ।। दूसरी आरती दीन दयाला, धुलेवा मंडप मा जग अजुवाला।। तीसरी आरती त्रिभुवन देवा, सुर नर इन्द्र करे थोरी सेवा ।। चौथी आरती चउगती चूरे, मन वांछित फल शिवसुख पूरे।। पंचमी आरती पुण्य उपाया, मूलचंदे ऋषभ गुण गाया।। जय जय आरती.... B. मंगल दीवो दीवो रे दीवो प्रभु मंगलिक दीवो, आरती उतारण बहु चिरंजीवो ।।1।। सोहामणुं घेर पर्व दीवाली, अम्बर खेले अमराबाली ।।2।। दीपाल भणे एणे कुल अजुवाली, भावे भगते विघन निवारी ।।3।। दीपाल भणे एणे ए कलि काले, आरती उतारी राजा कुमारपाले ।।4।। अम घर मंगलिक, तुम घर मंगलिक, मंगलिक चतुर्विध संघ ने हो जो ||5|| chit दीवो रे दीवो -------- 19
SR No.006114
Book TitleJain Tattva Darshan Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVardhaman Jain Mandal Chennai
PublisherVardhaman Jain Mandal Chennai
Publication Year
Total Pages56
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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