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परिणाम बहार आवशे, एमधारी संस्कृत साहित्यनी अथवा तो जैन वाणीनी सेवा माटेज, कोइ पण प्रकारनी मुश्केलीनी दरकार कर्या विना आज बीजो भाग (आज सूधीमां नव ग्रन्थो) प्रसिद्ध करवा अमे शक्तिमान' थया छीए. ___ अमारी तो अन्तर्गत एज अभिलाषा छे के, उधेइमा खवाइ जता,प्राचीन स्तोत्रो तेमज अन्य उत्तमोत्तम ग्रन्थो पण आवी रीते दिनप्रतिदिन प्रकाशमां आवे ? के जेथी "अन्यस्य दुःखोत्पादनं हिंसा" एटले सूधी अहिंसा धर्मनुं पालन करवा मजबूत रीते हीमायत करनार सर्वज्ञ कथित जैन शास्त्रनी पवित्रता, प्राचीनता तथा सद् देवतत्त्व संबंधी विचार करवा जन समूह आकर्षाय !!
केटलीएक प्रतोनी फकत एकज नकल, ते पण लखनारनी बेकालजीने लीधे एवी तो अशुद्धमय हती के तेना उपरथी अर्थनो अनर्थ थतो हतो, छतां महा मु. शीबते शक्त्यानुसार शुद्ध करी प्रगट करेल छे. तो पण जो कोइ अशुद्धी देखवामां आवे तो विवेकी वांचनाराआनी क्षमा याची, अमने लखी जपावा साग्रह विनवीओ छीओ.
आ ग्रन्थमा दाखल करवामां आवेला स्तोत्रो, चैत्यवन्दनो तथा स्तुतीओमांथी केवा उत्तम प्रकारनो भक्ति