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वली प्रत्यक्ष प्रमाणने पण प्रमाणभूत मानवा मां शुं प्रमाणछे ? एम ज्यारे कोई प्रश्न करशे तेवारे तमारे कांइ पण बोलवुज पडशे, तो तेनेज अनुमान प्रमाण कहेवाय छे. ज्यारे आ प्रमाणे तमाराज मन्तव्यमांथी अनुमान प्रमाण अनायास सिद्ध थशे त्यारे आस्तिकोए मानेला आत्माना अस्तित्वनो निषेध करवा बेनशीब बनशो हवे पञ्चभूतथी आत्मानी उत्प-: त्ति माननार ने पूछीशुं के एक साथ पांच महाभूतोथी आत्मानी पेदाश मानो छो के एक एकथी अलग अलग ? जो कहेशो के पांचेथी; तो विलक्षण गुणवाळा अने विलक्षण स्वभाववाळा एवा पांच महाभूतोथी ( पृथ्वी, जल, अभि, वायु, अने आकाशथी ) आत्मानी उत्पत्ति सिद्ध थशे नहि, कारण के कारणने अनुकूल कार्य थाय छे एवा सामान्य नियम छे. कदाच साहसी बनी बोलशो के पांचेना समुदायथा विलक्षण स्वभाववाळो अने गुणवाळो आत्मा पेदा थशे, तो अमे पूछीशु के पांच अगर दश जातनी वेलुमांशी तेल शा माटे पेदा नहि थाय ? भाई ! कारणथी विलक्षण कार्य थतुं नथी. कदाच कहीश के कारणथी विलक्षण कार्य दृष्टिगोचर थाय छे अने तेना दृष्टान्त तरीके पाणीथी मोतीनी उत्पत्ति थायछे एम कहीश, परन्तु आ तारूं दृष्टान्त ठीक नथी. कारणके झवेरीनी