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आध्यात्मिक संत पूज्य सदगुरुदेव श्री कानजीस्वामी जिम द्रव्यको जो पाय जिस समय जिस क्षेत्रम. जिस विधिमे जैसी हान याग्य हा वही पर्याय उसी समयमें, उसी क्षेत्रम, उसी विधिमे सही हानी है । उसम इन्द्र नरेन्द्र और जिनन्द्रभी फरफार 6.कर सकने में समर्थ नहीं है ।
सहजात्म स्वरुप सर्वज्ञदेव परमगुरु' ।
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