SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 166
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ નવમાગણના અદ્યતની કર્મણિરૂપ તથા યલૢબન્તના અંગ पु. अक्लेशिषि -- - નવમા ગણના અદ્યતની કર્મણિરૂપ ૧લો (१) अश् (१सो) - आशिषि ( २ ) क्लिश् (१सो) (उभे), अक्लिक्षि ( 3 ) क्री (२भे) - अक्रेषि (१सो), अक्रायिषि (४) ग्रन्थ् (१सो) - अग्रन्थिषि ( 4 ) ग्रह (१सो) अग्रहीषि, अग्राहिषि (६) पुष् (१सो) – अपोषिषि (७) प्री (२भे) – अप्रेषि (१लो), अप्रायिषि (८) बन्ध् (२३) अभन्त्सि (९) मन्थ् (१सो) - अमन्थिषि (१०) मी (२भे). अमासि (१लो) - अमायिषि (११) मुष् (१सो) अमोषिषि (१२) मृद् (१सो) - अमर्दिषि (13) श्री (२भे) - अश्रेषि (१लो), अश्रायिषि (१४) क्षुभ् (१) - अक्षोभिषि (१५) ज्ञा (२भे) - अज्ञासि (१लो), अज्ञायिषि (१६) वृ (१सो) अवरिषि, अवारिषि (२), अवृषि ( १७ ) पू (१सो) - अपविषि, अपाचिषि (१८) लू (१सो) - अलविषि, अलाविषि (१८) धू (१) अधविषि, अधाविषि (२), अधोषि (२०) स्तृ (१सो) - अस्तरिषि, अस्तारिषि (२भे), अस्तीर्षि (२१) वृ (१लो) अवरिषि, अवारिषि (२भे), अवूर्षि (२२) ज्या (१सो) - अज्यायिषि (२), अज्यासि (२3) ली (१सो) अलायिषि (२भे), अलेषि (२४) कॄ (१सो) - अकरिषि अकारिष (२भे), अकीर्षि (२५) शृ (१सो) अशरिषि, अशारिषि (२भे), अशीर्षि (२९) पृ (१लो) - अपरिषि, अपारिषि (२भे), अपूर्षि (२७) दृ (१सो) - अदरिषि, अदारिषि (२भे), अदीर्षि (२८) जृ (१लो) - अजरिषि, अजारिषि (२), अजीर्षि (२८) गॄ (१) - अगरिषि, अगारिषि (२०), अगीर्षि । = - = 1 - = - क्री प्री नवभा गाना यङ्लुजन्तना अंग - अश्= आश्, क्लिश् = चेक्लिश्, चेक्री, ग्रन्थ् = जाग्रन्थ्, ग्रह = जरीगृह, जरिगृह, जर्गृह, पुष् = पोपुष्, पेप्री, बन्ध् = बाबन्धू, मन्थ् = मामन्थ्, मी = मेमी, मुष् = मोमुष्, मृद् = मरीमृद्, मरिमृद्, मर्मृद्, श्री वृ = वरिवृ, वरीवृ, वर्वृ, पू= पोपू, वृ= वावृ, ज्या [जी] = जेजी, ली पॄ = पापृ, दृ दादृ, जूं - जाजू, गृ = जागृ । = शेश्री, क्षुभ् = चोक्षुभ्, ज्ञा लू लेली, कॄ = क लोलू, घू = खे. व. 1 = ૧૩૫ जाज्ञा, दोधू, स्तृ तास्तृ, चाकू, शृ = शाशृ, = ૩ ઇચ્છા અર્થ वृ - वुवूर्षु, वृ - वुवूर्षु, स्तृ - तिस्तीर्षु, कॄ - चिकीर्षु, शृ - शिशीर्षु, दृ – दिदीर्षु, पॄ - पुपूर्षु, जृ - जिजीर्षु, गृ - जिगीषु
SR No.006059
Book TitleHaim Sanskrit Dhatu Rupavali Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDineshchandra Kantilal Mehta
PublisherRamsurishwarji Jain Sanskrit Pathshala
Publication Year2006
Total Pages392
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy