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आशीर्वचन
માતા - સિદાયિત્રપરિપૂનિતારો શ્રવમાનમને નમ:
श्री विम प्रेम-भुवनानु-जय-जित - अयशससूरीश्रेभ्य नम:
विदुची सालाना मणिप्रभाश्राजी ।
सादर अनुवन्दना- सुखशातापृच्छा...
तीन भाल - ९ विभाा में व्याप्त जैनिज़म कोर्स पाठकों के जीवन में सभ्यासान हवं सभ्यक्रिया को वर्षमान बनामे में सुसफल यो संसा परमकृपालू परमात्मा से प्रार्थना..
पाठकों से प्रा अनुरोध कि वे इस कोर्स के अध्ययन में, पुनरवर्तन में तथा पीसा में नियमित बने रहे.... प्रमाद को परवश न बने.. प्रभु ने जान-2 मोक्ष: +ा है.. इस कोर्स से प्राप्त जाने को जीवन ।। में सक्रिय बनाकर सफल बनाये.
- आ-et अप्रयशेखरसुरि.
CONNARASIERESTERNARESHERE रावती विनामी
मणिप्रभाभीजी आणि
सुखकाला yा. आपकेबाना संस्कारक निमका जो कोम प्रकाशित हिमा जा रहा है उसके प्रति इमारी हार्दिक शुभकामनाये। वर्तमान युग में बाल युवा वर्गअयोग्य आचरणाओं का अपनाकरमानभव को हार रराएसे समय में संस्कार वर्कक साहित्य कीआवश्यकता है। मह साहित्य बाल युवा वर्गको भार्ग कि बनें।
यही शुभाभिलाषा
जयानंद पाना