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सव्वधाईणं । पइसमयं ॥८१॥
[ ४ ] विग्धावरणे मोहे, सव्वोवरि वेयरणीये तस्स फुडत्तं न हवइ, ठिईविसेसेण नियजाइलद्धदलिया -, णंतंसो होइ बज्झतीरण विभज्जइ, सेसं सेसाण सम्मदर सव्वविरई उ, अरणविसंजोय दंसखवगे य ! मोहसमसंतखवगे, खीणसजोगीयर गुरगढी | ८२ गुणसेढी दलरयणा-, णुसमयमुदयादसंखगुणणाए । एयगुणा पुण कमसो, असंखगुणनिज्जरा जीवा । ८३॥ पलियासंखंसमुहू, सासण इयरगुण अंतरं हस्सं । गुरू मिच्छि बे छसट्ठी, इयरगुणे पुग्गलद्धंतो ॥ ८४ ॥ उद्धार अद्ध खित्तं पलिय तिहा समयवाससयसमए । केसवहारो दीवो - दहि आउ तसाइ परिमाणं ॥ ८५ ॥ दव्ये खित्ते काले, भावे चउह दुह बायरो सुमो । होइ अनंतुस्सप्पिणि- परिमाणो पुग्गलपरट्टो ||८६ ॥ उरलाइसत्तगेणं, एगजिओ मुयइ फुसिय सव्व अणू । जत्तिय कालि स थूलो, दव्वे सुहुमो सगन्नयरा ॥८७॥ लोगपएसोसपिणि-, समया अणुभागबंधठाणा य । जहतह कममरणेणं, पुट्ठा खित्ताई थूलियरा ॥ ८८ ॥ अप्पयरपयडिबंधी, उक्कडजोगी य सनिपज्जत्तो । कुणइ पएसुक्कोसं, जहन्नयं तस्स वच्चासे ॥८९॥ मिच्छ - अजयचउ आऊ, बितिगुण विणु मोहि सत्तमिच्छाई । छहं सतरस सुमो, अजया देसा बितिकसाए ॥ ९० ॥
जेरगप्पे | सेसाणं ॥ ८० ॥