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श्रीमन्मुक्तिकमल जैनमोहनमाला - पुष्प ३७ मुं. परमकारुणिक संविज्ञशिरोमणि सुगृहीतनामधेयबृहत्तपागच्छनायक श्रीमद्देवेन्द्रसूरिशेखर सन्दृन्ध
शतकनामा पंचमकर्मग्रन्थ
गाथार्थ, विशेषार्थ, यंत्रो, आकृतिओ तथा २०९ टिप्पणोथी विभूषित अनेक सुधारावधारा साथेनी तृतीय आवृत्ति
विशेषार्थ रचयिता स्व. पं. चंदुलाल नानचंद संपादक-संशोधक- आराध्यपाद शासनप्रभावक परमगीतार्थ आ० म० १००८ श्रीमान् विजयमोहनसूरीश्वरपट्टप्रभाकरसच्चारित्रशालि कर्मशास्त्राना प्रखरज्ञाता पूज्य आचार्य श्रीमद् विजयप्रतापसूरीश्वर शिष्य रत्न - द्रव्यानुयोगना परम निष्णात विद्वद्वयं पू. आचार्य श्री विजयधर्मसूरिजी महाराज प्रकाशक- श्रीमन्मुक्तिकमलजैनमोहनमाळा कार्याधिकारी पुनः मुद्रण प्रेरक :
पू. प्राचार्य श्री यशोदेवसूरिजी महाराज
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वीर संवत् २५०८ ]
[ विक्रम संवत् २०३८