SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 369
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ૩૨૮ १४) न्यायालोक-इस में मोक्ष के स्वरूप आदि की तर्कपूर्ण विचारणा है । १५) निशाभुक्ति प्रकरण-इस लघुकाय अन्य में 'रात्रि भोजन स्वरूपतःदुष्ट है ।' इस का उपपादन किया गया है। १६-१७) परमज्योतिःपञ्चविंशिका-परमात्मपञ्चविंशिका-विषय परमात्मस्तति । १८) प्रतिमास्थापनन्याय-इस में प्रतिमापूज्यत्व का व्यवस्थापन किया गया है । १९) प्रमेयमाला-यह ग्रन्थ विविध वादों का संग्रह है। २०) मार्गपरिशुद्धि-इस ग्रन्थ में हारिभद्रीय 'पंचवस्तु शास्त्र के साररूप मोक्षमार्ग की विशुद्धता का सुन्दर प्रतिपाइन है। २१) यतिदिनचर्या-जैन साधुओं के दैनिक आचार का वर्णन इस ग्रन्थ में हैं। २२) यतिलक्षणसमुच्चय-इस ग्रन्थ में भावसाधुता के लक्षणों का वर्णन हैं । २३) धादमाला (१)-इस में १) चिरूत्रपविचार, २) लिङ्गोपहितलैङ्गिगकभान, ३) द्रव्यनाशहेतुताविचार, ४) सुवर्णातैजसत्व, ५) अन्धकारद्रव्यत्व, ६) वायुस्पार्शनप्रत्यक्ष, ७) शब्दानित्यत्व इन ७) वादों का निरूपण है। २४) वादमाला (२)-इस में १) स्वत्ववाद, २) सन्निकर्षवाद इन दो वादों का निरूपण हैं। . २५) वादमाला (३)-इस मे १) वस्तुलक्षणविवेचन, २) सामान्यवाद, ३) विशेषवाद, ४) इन्द्रियवाद, ५) अतिरिक्तशक्तिवाद और ६) अदृष्टवाद इन छ वादों का निरूपण है। २६) विजयप्रभसूरिस्वाध्याय—इस में गच्छनायक श्री विजयप्रभसूरिजी की तर्कगर्भित स्तुति की गई है। २७) विषयतावाद-इस में विषयता, उद्देश्यता, आपाद्यता आदि का निरूपण है। २८) सिद्धसहस्रनामकोश-सिद्ध भगवान् के १००८ नाम का संग्रह इस ग्रंथ में हैं। २९) स्यादवादरहस्य पत्र-'खंभात' नगर के पण्डित गोपालसरस्वती आदि पण्डितवर्ग पर प्रेषित पत्र है जिस में संक्षेप से 'स्यादवाद' की समर्थक युक्तियाँ का प्रतिपादन है। ३०) स्तोत्रावली-इस में आदीश्वर, पार्श्वनाथ और महावीरस्वामी भगवान के विविध ८ स्तोत्र हैं। अनुपलब्ध-संकेत प्राप्त अन्यग्रन्थ :(१) अध्यात्मबिंदु (८) तत्त्वालोक विवरण (१५) वादार्णव (२) अध्यात्मोपदेश (९) त्रिसूत्र्यालोक (१६) विधिवाद (३) अनेकान्तवादप्रवेश (१०) द्रव्यालोक (१७) वेदान्तनिर्णय (४) अलंकारचूडामणि टीका (११) न्यायवादार्थ (१८) वेदान्तविवेकसर्वस्व (५) आलोकहेतुतावाद (१२) प्रमारहस्य (१९) शठप्रकरण (६) छन्दश्चूडामणि टीका (१३) मंगलवाद (२०) श्रीपूज्यलेख (७) ज्ञानसार अवचूर्णि (१४) वादरहस्य (२१) सिद्धान्ततर्कपरिष्कार प्रकीर्ण :-संस्कृत प्राकृत भाषा के अलावा श्रीमद उपाध्यायजी की गूर्जर भाषा में भी अनेक लोकभोग्य स्तवन, सज्झाय, रास, पूजा, टबा इत्यादि कृतियाँ है जिसका बहुभाग 'गूर्जर साहित्य संग्रह' भाग १ मे, तथा, भाग २ में 'द्रव्यगुणपर्याय का रास' प्रसिद्ध हो चूका है।
SR No.006002
Book TitleUpdesh Rahasya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYashovijay Gani
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year1983
Total Pages382
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy