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________________ पृष्ठ ५०० सन्मुदा अथ अशुद्ध सन्नदा कथ मामनुग्रह माद्यते पुनर्पेन ५०४ 10mm ५४० शम्कोति विद्यते गृपतेरकब्बरस्य आतिशायिन्न यस्त्राणि शशप समुद्दता - मामनुगृह्य 'माधचे ' पुनये न "पपो शक्नोति विधत्ते नृपतेरकब्बरस्य अतिशायिनः शस्त्राणि शशस समुद्धता वाक्यं ५३३ ५४४ ५४४ ५४५ ५४७ ५५० ५५२ ५५५ ५६३ ५७५ ५७८ ५८५ धाक्य' तुमुस्त्र तुमुख कीट इति हनिष्य प्रलोक संख्या ७८ (टीका)) ९२ (टीका) ९६ (टीका) १०७ (टीका) ५३३ (टोका) १४५ (टीका) १५९ ( टीका) १६५ ( टीका) १६६ (टीका) १६६ (टीका) १६८ ( टीका) १७२ (टोका) १७८ (टीका) १८२ (टीका) १८८ (टीका) २०२ ( टीका) २२६ (डीका) २३१ (मूल) २४३ (टीका) २७९ (,) २८३ (,) २९६ (,) २६ (,) ३७ (र, ) ३९ (,) ४९ (,) ५७ (,) ७७ ( मूल ) ७९ (,) ७५ ( टीका) ४ (मूल ) ४ (,,) ४ (, ) ४ (,) कोटि ईति हनिण्य द्रमाणं सर्धथैव इब प्रव्रानयामास वितात नाष्टिभन्तो द्रुमाणां ६०६ सर्व थैत. इव प्रव्राजयामास वितोत: वृष्टिमन्तो सत्रा मानसे कूटं शिखर मात्मना ध्यायातां ६३७ ६४४ ६४५ ६५१ ६५६ ६६८ पानसे कूटशिचरं मात्माना ध्ययातां पज्ञाप्ति तराजापुकैः पद्मनां सष प्रज्ञप्ति '६७६ पराभावुक सद्मनां जुष ६७३ ६७३ बसुते वसते तम्नीलाम् तत्तुलाम् ६७३
SR No.005969
Book TitleHeersaubhagya Mahakavyam Part 03
Original Sutra AuthorDevvimal Gani
AuthorSulochanashreeji
PublisherKantilal Chimanlal Shah
Publication Year1979
Total Pages444
LanguageGujarati, Sanskrit
ClassificationBook_Gujarati
File Size9 MB
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