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एर कहम ये मुसीजत है, पंख तो समासः चोर भोरो धने हा यसे ना शास
सुन को तेरा सहारा
सहा याही खे
००
तुन
तारामी न
नाह नाच सोयो
भारी त्जी न सभायु हो, नुं शाने जनुं श्रेधे न नहि, क्খन तत् सरखे 'ते' त्वं शोरसे पातु तेयासु ते भयता, तन्मयता प्रत्यू! भारी मारे नीक पुरुषमा तूं भन राहते हु आरे 'ते' भोगापीठे हो
6.
पाटलो पुरुष मी
००
तुन छ, गति,
यसु प्रसिद्ध सूत्र याह साव: पङ्गु यां गणाने खुसायने प्रलू
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......
तारामां
तत्व हो, अलु ?
लग्घयते गिरिभू साधनानो गिर कुहायें है, है यो सूत्रमा ''- उमेश' धुं पङ्गुभेव लभ्घयते गिरिम्. तमाशी गति पर विश्वास न एदि तीन आलू
तम्फी असावे.
कक्षा दो छो
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संत tonday की सोयी साधना मीर्य ल
'निराधार लये चार
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एवं
sena
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