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कसे हो
विलोकिने महाभाग !
त्वयि संसार पांरंगे 1
आसितुं क्षणमध्येक
संसारी नास्ति मे रतिः
बोया पछी संसारला
अलू ! रूपहरू यहां रतिलाव नी लावतो. संसार
खदानी सांगे है.
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स्वर्ग जाने भोट प तमे छो, प्रलु ? स्थर्गनुं संता शुल लावो की सापबार आनलं तर स्वानुभूति को
प्रतु मापना..
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शासक an
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नमें छो मारुं सत्य भारा भवनंं तमारा दिना क्यो ન દ निर्जन हूं, प्रभु ! संधिनामार्गे शोक Sri 'भांडया चहुए हैं असमर्थ छु, मारा नाथ ? तयारी कृपांस न शी सुरु झाको दुराने रूंत कंपाना एदी मां जयकण्की न है सागण પ્રશ્નનો
गीतकी पंक्ति को साह साधेः मेरी धीमी है सास और पक्ष है दिशास
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