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________________ कसे हो विलोकिने महाभाग ! त्वयि संसार पांरंगे 1 आसितुं क्षणमध्येक संसारी नास्ति मे रतिः बोया पछी संसारला अलू ! रूपहरू यहां रतिलाव नी लावतो. संसार खदानी सांगे है. ०० स्वर्ग जाने भोट प तमे छो, प्रलु ? स्थर्गनुं संता शुल लावो की सापबार आनलं तर स्वानुभूति को प्रतु मापना.. ०० शासक an · नमें छो मारुं सत्य भारा भवनंं तमारा दिना क्यो ન દ निर्जन हूं, प्रभु ! संधिनामार्गे शोक Sri 'भांडया चहुए हैं असमर्थ छु, मारा नाथ ? तयारी कृपांस न शी सुरु झाको दुराने रूंत कंपाना एदी मां जयकण्की न है सागण પ્રશ્નનો गीतकी पंक्ति को साह साधेः मेरी धीमी है सास और पक्ष है दिशास ૧૧
SR No.005864
Book TitleShakrastava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmalatashreeji
PublisherPremilaben Jayantilal Shah
Publication Year2012
Total Pages224
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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