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________________ स्त्तयनम कहें 6 हेजी से कट्लुत नाएस ३प पसरिन लयिक खाइची यह घरे क; ताहरी गत तुं काही हो हो ? समरा लवन ते पाया नस करेल. प्रभुः तासे कहू‌लत ३प कोहीले लायको खइन पहने मोदीने पायी छ), की है, तारी सोसा भारी जुछियो, खाम पासा, शी रीते जीती रु ? कहा है तो ना? स्मरात भने तारी बात नुं लान श्रीश. - पर बेसी २। ६. पल बात पुष सुविधिनाथ अलवी स्तप्ना मंत्र की हो : त्रिगड रत्न सिहासन जैसी सागर 'उजार्थ; सिहुं हिशि सरिहंत यह प्रलुतानो लोगी, योगी करावे २. तो खाली न कान्ति विषय महाराजे પ્રન્સમવસર૭ માં રત્નત સિંહાસન हराना खापी रक्षा हो सामरी दोपाध लक्षकर पहनी प्रयुतानो | सैधर्यको लोग सनी बज बाबु 6 पर्नु सहासीन्य ! रुक बाबु छो सके स‌सुततानी, खप्रतिमतां बी परम तारक M शिया तयारी अप्रतिष हवे ? 00 प्रलू छ अंगली भलु न नाम. शश्चित मंगल. थाडो समय भाई जमाश सुभिरव, सतत
SR No.005864
Book TitleShakrastava
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmalatashreeji
PublisherPremilaben Jayantilal Shah
Publication Year2012
Total Pages224
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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