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________________ आई तो घरे चहा न लप तैष्ण ड्यो उहेलाशे? ले त्याग વ્ય जहार भ्यु न४ ન જ ४ पुख्य जधा वधारे गरमीमां सोहो छूती होचू प्यारे तमे पंजाने से डन्डीशननो व्याग ड्यो खेम वियारोतो तमने तेनाथी चुल्य બંધાય. નો એડલા ત્યાગી अधातु होयतो बनावशे लिखारीओ चुल्य जांघूरी बेपारमा न कमो त्यारे होंगे होंगे त्याग डुरीचे जे खेषु देश या तेमा अशुल छे. डोया त्याग बधाच लाव होतो खनिवार्य छेः साधे गमे नेटलो शुभलाचे ड्यों यहा लोंगरस, होचतो अनुबंध खनुजेध तमाश पला चाय ४ साधे शुललाव चापनो ४ चडशे खा मनमा जेसी भेच्खे . वैनाधी तमे जराजर 8 खेड राधेममा बजते नमे डेटलो नधी धंधामा मोटो जराजर analysis होच छे माटे 8 घरावे જ્વ 521 राँडो डरी शुललाव, डरता के लोग रस रात्र्यांनी २ के वैराज्य लोग पर तमे गये तेलो प्रहार डरवानी ताडात उयों धर्म केमडे हार हेरासरी बंधावी, करो डरोडोंना हान डरो यहां साथे मे लोगनो जो यहां युल्यानुबंध होय समे पहल सरित्र बघे खलीशुद्ध पाणीचे शास्त्रों लगी मासजमाना चारो मासखमग रस होतो खाली चुल्य तो बहिन याय महाव्रत 1 विधान मासजमा डरीचे વિનય વૈયાવચ્ચ चा लोचनी बघु दुरीये हरीत अनुबंधक तो खमने चापनो क रस पडे त्यांरे " . छह-स बनीचे
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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