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________________ खावे प्यारे उठ खतिशय पराकाच्छाना लौतिक होच खा सेखर्य छे. लोगवे प्यारे तेमने नशी खाम लोगनी प्राप्ति तेवी खेडाते नियम नथी. क्यारे उत्त रचना सक्ति - वैराग्य वाजते तेने જાપા चाप अंधानु खानाथी धाय डोटिनु वखते ने મુખત ७८६ष्ठ लोगो डर्म जाती वजले भवनमा विवेडना सेवा लावो होय छेडे संसारमा ङे लोगोमा नया रस न. होय : जधिती वखते में ना मनमा भोगना न होयडे तेने उध्य रीते ने खात्मानें माटे युट्यू इस नधा ते खेवं पुष्य अजमा लोगमा इसारे ने दुः ब्यू य जांघती वजते मे संसारमा वडे तेना लोगोमा न इस हशे ने चुल्य उहय काजमा लोगमा खेवो इसावशे प्रेम मॉजी जूणामारीले सावीने जेवी बीते जेसेडे नेना यत्र तेमां खेली योटी लडे तेमाथी ते नीकाजी न न राडे जबा तेनी डेम ने कव लोगोमा इसाशे खाम अमळने युल्य जधिता लोगोनो रस तूरे ते रीते जाँधो माटेक न्यासुधा वैशय ने विवेड नहि होय त्यांसुधी संसारना लोगोनो कधी तेथी जधा रस तुरंवानो गुल डेजवो.. सला: त्याग करीचेतो लोग रस खोछी थायर साहेजन:- सेंषु नधी..शुल भाव उसे तो चुल्य जंघाय ने तमें डरोतो चाप जधायः यार नयडो ने तेथी चरा राधेमनु धधानी हुल सीमन मा नवरा 6 अशुलुलाव
SR No.005862
Book TitleAnukampadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYugbhushanvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages400
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size8 MB
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