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377साय पूश्री युगभूषाविनयक सहगुरुल्यो 23-ल
हान-जत्री सी
मगजवार
समेत उपकारी
परमात्मा भगतना कामातून सम्यगु प्रबोध उरांवा माटे
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नम!)
नंतज्ञानी श्री तीर्थर है पुल्चना इंजोनो धर्मती धनी स्थापना
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सोचोटी
महापुरुयोनी छोस्टको प्रेम याच तत्व समकवा चायना पियाड सगळ्यानी चहा
नी कहर छे तेम ३२ रे दुर्मना संधी न मोक्ष याच छे खात्मान बंधन छे स्वात्मा तमाम पाप -पुल्यमा घायनो ४ ते मोक्ष मुझ
डर्म
मात्र
भय
छः
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मोक्षमा कता
પહલા बधाखे युज्य चला छोड्नु r अड्ड छे के कव सहेतूर चाय- चुल्य उर्मनो क्षय उरे-छतेक आत्मा मोसनो अधिकारी छे. परंतु जधी पुष्या ઈ सविना ड्राजमा खाडखीली डे बंधन ३प नही मोक्षमां शूल खशुल उम्रेनो पडबायो यहां धी परंतु मोक्षनी साधना तो संसारमा ४९२खानी छे. ક્ષરમાં ભતિ પુણલનું વર્ચસ્વ છે, જ્ડનું જ स्ववियत्य छे, ने स संसारमा रही ने में मोक्षनी साधना दुखी होचता साधना माट अनुप सामग्री ने संलेगी तो भेाशे खने में माहे चडशे मारे ४युल्य साधड हुशामा चला पुष्य ४ तरइनो विचार धश પુણ્ય, સાધના કાળમાં ઉપયોગી ગણવાનું નથી. પુણ્યધ
या पुण्यूनी १३ तो खेडांते हेथ नही हेय मानशोतो खेड પુજ્ય बंधीय ते होचतो तेने सेवा के के धर्मनी साधनामां
त्याक
डाग जने छे.
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